सेना में फर्जी भर्ती घोटाले की खुलने लगी परतें: तीन माह में तीसरी एफआइआर, 37 युवकों पर केस
फौज में जाली दस्तावेजों के जरिए भर्ती होने के मामले में एक के बाद एक करके लगातार परतें खुलती जा रही हैं।
जेएनएन, लुधियाना: फौज में जाली दस्तावेजों के जरिए भर्ती होने के मामले में एक के बाद एक करके लगातार परतें खुलती जा रही हैं। अब इस घोटाले में पुलिस ने एक अन्य एफआइआर दर्ज की है। इस बार 37 ऐसे युवकों को नामजद किया गया है, जिन्होंने मोगा, एसएएस नगर, लुधियाना समेत अन्य शहरों के फर्जी कागजात लगाकर सेना में नौकरी हासिल की है। ये सभी आरोपित भी हरियाणा और राजस्थान के निवासी ही बताए जा रहे हैं। मामला यहां भर्ती कार्यालय के प्रमुख कर्नल विशाल दुबे की ओर से लिखे गए पत्र के बाद दर्ज किया गया है। ये लोग 2014 से लेकर 2018 में हुई भर्ती प्रक्रिया के दौरान भर्ती हुए थे। फौज ने इस सब की खुद फिजीकल वेरीफिकेशन की है। इसी के बाद यह मामला दर्ज करवाया गया है। पिछले साल सितंबर में रोपड़ में फर्जी भर्ती घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद फौज के सभी भर्ती कार्यालयों में जांच शुरू हुई थी। लुधियाना में जांच के बाद सेना के अधिकारी हर उस घर में खुद जाकर पूछताछ कर रहे हैं, जहां का रिहायशी पत्र देकर वे युवक भर्ती हुए हैं। हैरत की बात है कि इन अड्रेेस पर या तो यह युवक रहते ही नहीं हैं या फिर इनकी रिहायश पर रहने वाले लोगों के साथ उनकी कोई रिश्तेदारी है।
अब तक सिर्फ दो आरोपित ही गिरफ्तार
पुलिस ने अब तक दर्ज हुई तीन एफआइआर में 74 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इसके बाद अभी तक पुलिस मात्र भर्ती कार्यालय के मैसेंजर और नागपुर ट्रेनिंग स्कूल से एक ट्रेनी फौजी को ही गिरफ्तार कर पाई है। इसके अलावा पूर्व सैनिक महिंदर सिंह तीन माह से पुलिस की गिरफ्त से बाहर चल रहा है। बेहद अहम इस मामले में इस तरह कछुआ चाल जांच से स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है। क्योंकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि फर्जी कागजात के सहारे जासूस भी फौज में भर्ती हो सकते हैं। फौज के एक अधिकारी के अनुसार कागजी कार्रवाई के कारण आरोपितों की गिरफ्तारी में देरी हो रही है। यहां के भर्ती कार्यालय के अधिकारी लगातार उन बटालियन के अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए भर्ती हुए। उन्हें गिरफ्तार करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
16 फरवरी को 35 युवाओं पर दर्ज किए थे मामले
इससे पहले 16 फरवरी को 35 युवाओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। इन्होंने भी फर्जी कागजात के जरिए नौकरी हासिल की है। इससे पहले एक अन्य एफआइआर में यहां के मैसेंजर सुरिंदर पाल और पूर्व फौजी महिंदर सिंह के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।