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धर्म जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं: साध्वी संचिता

एसएस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में धर्म सभा आयोजित की गई। इसमें संचिता महाराज ने कहा कि धर्म हमें जोड़ना सिखाता है तोड़ना नहीं। धर्म के क्षेत्र में हिसा घृणा भय व नफरत का कोई स्थान नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 07:45 PM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 07:45 PM (IST)
धर्म जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं: साध्वी संचिता
धर्म जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं: साध्वी संचिता

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में श्रमण गौरव सरलमना महासाध्वी गुरुणी मैया श्री वीणा महाराज ठाणे-5 के सान्निध्य में धर्म सभा आयोजित की गई। साध्वी संचिता महाराज ने कहा कि ये मेरा नहीं, महान भारतीय संस्कृति व भगवान महावीर के अहिसा दर्शन का सम्मान है। धर्म हमें जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं। धर्म के क्षेत्र में हिसा घृणा भय व नफरत का कोई स्थान नहीं है।

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आज अपेक्षा है धर्म को आध्यात्म विज्ञान व समाज सेवा से जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि प्रथम गुरु तो हमारे माता-पिता हैं, जिनसे हमें जीवन, ज्ञान, जीवन का प्रथम पाठ मिला। जिनसे हमने बोलना, चलना और जीवन जीने का सच्चा ज्ञान सीखा। माता-पिता के संस्कारों से हम जीवन में आगे उन्नति के मार्ग पर चल सकते हैं। गुरु के बिना ज्ञान, अनुशासन और भक्ति नहीं मिलती और इनके अभाव से ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

उन्होंने आगे कहा कि अगर आप में सहने की शक्ति नहीं है तो घर परिवार में रोज क्लेश होंगे। जहां गलियों का गोबर हजम करना पड़ता है, हमेशा प्रशंसा की मिठाई नहीं मिलती। अगर जिदगी को शांतिमय बनाना चाहते हो तो क्रोध से किनारा तो करना ही पडे़गा। उन्होंने कहा कि शरीर को नहीं, स्वभाव को सुंदर बनाइए। शरीर को सुंदर बनाने के लिए भाई और बहनें कई घंटे बिता देते है पर स्वभाव के लिए नहीं। अत: आप अपने स्वभाव को सुंदर बनाएं, क्योंकि ईश्वर चित्र में नहीं, चरित्र में बसता है।


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