लुधियाना में एक पेट्रोल पंप ऐसा जहां बंदूक के साये में डाला जाता है तेल, सख्त पहरे में करते हैं कारिंदे
ताजपुर रोड पर केंद्रीय जेल के बिल्कुल बाहर एक पेट्रोल पंप की खासियत यह है कि यहां जेल के कैदी तेल डालने की ड्यूटी करते हैं। इस पेट्रोल पंप से होने वाली आमदनी को जेल विभाग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
दिलबाग दानिश, लुधियाना। अंतरराष्ट्रीय सरहद पर बंदूकों के साये में किसानों को काम करते हुए लगभग सभी ने देखा होगा, मगर शहर में एक पेट्राेल पंप ऐसा भी है, जहां पेट्रोल पंप पर तेल डालने वाले कारिंदे बंदूक के साये में काम करते हैं। दरअसल, ताजपुर रोड पर केंद्रीय जेल के बिल्कुल बाहर एक पेट्रोल पंप स्थित है। खासियत यह है कि यहां जेल के कैदी तेल डालने की ड्यूटी करते हैं। यह पंप भी जेल विभाग की तरफ से खोला गया है। अब तक कैदियों से कारखाने में लकड़ी का साजो सामान बनाने समेत खेतों में काम लिया जाता था और इसी को सजा का नाम दिया जाता था मगर समय बीतने के साथ सजा भी बदल गई है। सख्त जेल मैन्यूअल के हिसाब से कैदियों को बाहर जाने की अनुमति नहीं थी मगर अब कैदी जेल के बाहर आते भी हैं और काम भी करते हैं। इस पेट्रोल पंप से होने वाली आमदनी को जेल विभाग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। जेल विभाग में यह पहली बार नहीं है कि कैदी इस तरह से काम कर रहे हैं, मगर जेल से बाहर इस तरह से काम करवाया जाना अपने आप में हैरानीजनक है।
अच्छे आचरण वाले बंदियों से ली जा रही ड्यूटी
जेल विभाग के डीएसपी कमल कुंवर बताते हैं कि पंप पर उन्हीं कैदियों से काम लिया जाता है, जिनकी सजा पूरी होेने वाली है और सजा के दौरान उनका आचरण ठीक रहा है। उन पर नजर रखने के लिए भी गार्ड की ड्यूटी लगाई जाती है और वह बेहद कड़े पहरे में पंप पर ड्यूटी करते हैं और ड्यूटी समाप्त होने के बाद जेल में चले जाते हैं। वह बताते हैं कि अब तक इस तरह के दो पेट्रोल पंप ही बनाए गए हैं मगर आने वाले दिनों में इसकी संख्या नौ होने वाली है। इससे पहले रोपड़ में इस तरह का पंप चलाया जा रहा है और दूसरा लुधियाना में बनाया गया है। इसके लिए पंजाब सरकार और जेल विभाग की तरफ से डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया गया था और उसके अधीन ही यह काम किया जा रहा है।
जेल में पहले भी लिया जाता रहा है मुंशी का काम
जेल में इससे पहले भी अच्छे आचरण वाले बंदियों से जेल में मुंशी का काम लिया जाता रहा है। अच्छे आचरण वाले कैदी जेल के स्टाफ के साथ क्लेरिकल काम भी करते हैं और इसके बदले में विभाग उन्हें कुछ न कुछ सहायता राशि देता है। इसके अलावा जेल में बैरकों की रक्षा और बंदियों पर नजर रखने के लिए भी इन मुंशियों से काम लिया जाता है मगर उन्हें भी जेल की ड्यूटी से आगे आने की अनुमति नहीं होती है।