जरूरत से ज्यादा रखना पाप है
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता श्री सुदर्शन लाल म. के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि ठाणा-6 सुखसाता विराजमान हैं।
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में प्रार्थना सभा, अरुण मुनि ने किए प्रवचन
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता श्री सुदर्शन लाल म. के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि ठाणा-6 सुखसाता विराजमान हैं। सोमवार के संदेश में गुरुदेव अरुण मुनि ने कहा कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है। उसे केवल अपने लिए नहीं जीना, बल्कि दूसरों का भला करना भी है। दुनिया का नियम है जो लुटाओगे, वहीं लौटकर आएगा। जो ओरों को ठगता है वह एक दिन खुद भी ठगा जाता है। जो देता है, वहीं पाता है। जरा देकर तो देखो। मांगने पर देना अच्छा है, लेकिन जरूरत समझकर बिना मांगे देना और भी बढि़या है। जरूरत पाप नहीं है, जरूरत से ज्यादा रखना पाप है। अरे सत्य और ईमान व परोपकार का रास्ता स्वर्ग में जाकर खत्म होता है। दुभार्ग्य है कि आज सत्यावदियों, ईमानदारों और परोपकारी लोगों का अकाल सा पड़ा गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि लोगों का विश्वास है कि अब ईमानदारी के दिन लद गए हैं। वे तर्क देते हैं कि देखों टेढ़-मेढे़ वृक्षों को जहां कोई नहीं छेड़ता और सीधे वृक्ष हमेशा ही काटे जाते हैं। मेरा कहना है सच्चाई के दिन कभी नहीं लदते। कीमती फर्नीचर हमेशा सीधी स्पाट लकड़ी का ही बनता है। उन्होंने कहा कि दूसरों की भलाई करना अच्छा है, लेकिन अपनी बुराई ढूंढना उससे भी बेहतर है। सत्य बोलना अच्छा है पर दूसरों के प्राणों की रक्षा के लिए झूठ बोलना और भी अच्छा है। कर्ज चुकाना अच्छा है, पर अच्छाई का आमंत्रण और भी ज्यादा अच्छा है।