दुराचारी होने के बावजूद संतों को होती है मोक्ष की प्राप्तिः पंडित विजय
मानव सेवा संघ के तत्वावधान में ग्यासपुरा के शिव नगर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथा वाचक श्रद्धेय पूज्य पंडित विजय पांडेय जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचन भक्त अजामिल की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया।
लुधियाना, जेएनएन। मानव सेवा संघ के तत्वावधान में ग्यासपुरा के शिव नगर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथा वाचक श्रद्धेय पूज्य पंडित विजय पांडेय जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचन भक्त अजामिल की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महोत्सव में कथावाचक पंडित विजय पांडेय ने कहा कि दुष्ट एवं दुराचारी होने के बावजूद संतों की एक दिन संगत से मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि अजामिल कान्यकुब्ज ब्राह्माण कुल में जन्मे थे और कर्मकाण्डी थे। एक दिन वह गांव से बाजार जा रहे थे तो उन्होंने एक नर्तकी को देख लिया।
नर्तकी वेश्या थी बावजूद इसके वह उसे अपने घर ले आए। अजामिल अपने नौ बच्चों के साथ रहने लगे। एक दिन पच्चीस संतों का एक काफिला अजामिल के गांव से गुजर रहा था। यहां पर शाम हो गई तो संतों ने अजामिल के घर के सामने डेरा जमा दिया। रात में जब अजामिल आया तो उसने साधुओं को अपने घर के सामने देखा। इससे वह बौखला गया और साधुओं को भला बुरा कहने लगा। इस आवाज को सुन कर अजामिल की पत्नी जो वेश्या थी वहां आ गई। पति को डांटते हुए शांत कर दिया। अगले दिन साधुओं ने अजामिल से दक्षिणा मांगी। इस पर वह फिर बौखला गया और साधुओं को मारने के लिए दौड़ पड़ा। तभी पत्नी ने उसे रोक दिया।
धुओं ने कहा कि हमें रुपया पैसा नहीं चाहिए। इस पर अजामिल ने हां कह दिया। साधुओं ने कहा कि वह अपने होने वाले पुत्र का नाम नारायण रख ले। बस यही हमारी दक्षिणा है। अजामिल की पत्नी को पुत्र पैदा हुआ तो अजामिल ने उसका नाम नारायण रख लिया और नारायण से प्रेम करने लगा। इसके बाद जब अजामिल का अंत समय आया तो यमदूतों को भगवान के दूतों के सामने अजामिल को छोड़ कर जाना पड़ गया। इस तरह अजामिल को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसलिए कहा गया है कि भगवान का नाम लेने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
कथा में पूर्वांचली पूर्वांचली नेता व प्रीच इंटरनेशनल स्कूल के मैनेजिंग डायरेक्टर चन्द्रभान चौहान ने ब्यासपीठ से आशीर्वाद लिया। अंत में मुख्य आयोजक दिनेश मिश्रा, दया शंकर शुक्ला, मुख्य यजमान गीता सिद्धू, प्रभा शंकर तिवारी, राज बहादुर पाल, बृज भूषण सिंह, दिनेश तिवारी, निक्कू पांडे, पंडित शेष नारायण, पंडित संजय शास्त्री, केडी तिवारी ने भागवत महापुराण की आरती की।