पाक सेना प्रमुख से 'जफ्फी' ने नवजाेत सिद्धू की भाजपा में वापसी पर डाला अड़ंगा, पढ़ें लुधियाना की अाैर राेचक खबरें
भाजपा कद्दावर सिख नेता की तलाश कर रही है लेकिन सिद्धू के मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। भाजपा के एक नेता ने यहां तक कह दिया कि यदि सिद्धू का प्रस्ताव लेकर कोई नेता आना चाहता है तो वह त्यागपत्र भी साथ लाएं।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। पंजाब कांग्रेस में खुद को असहज महसूस कर रहे नवजोत सिद्धू की भाजपा में वापसी को लेकर लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं, लेकिन हर बार बाजवा की जफ्फी आड़े आ रही है। हाल ही में कैप्टन से मनमुटाव के बाद भाजपा के कुछ शीर्ष नेता उनकी घर वापसी का रास्ता तैयार कर रहे थे, लेकिन सिद्धू से नफरत करने वाले भाजपा नेता पाकिस्तान सैन्य प्रमुख बाजवा से जफ्फी का हवाला देकर उनकी राह में रुकावटें डाल रहे हैं।
शिअद से अलग होने के बाद भाजपा एक कद्दावर सिख नेता की तलाश कर रही है, लेकिन सिद्धू के मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। इतना ही नहीं, भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता ने यहां तक कह दिया कि यदि सिद्धू का प्रस्ताव लेकर कोई नेता आना चाहता है तो वह अपना त्याग पत्र भी साथ लाए, क्योंकि वह बाजवा वाली जफ्फी से अभी भी खफा हैं।
रावत ने वर्कर को करवाया चुप
सर्किट हाउस में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मीटिंग चल रही थी। इसमें पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत विशेष तौर पर पहुंचे थे। कांग्रेस की परंपरा रही है। जब कोई बड़ा नेता कार्यक्रम में आता है तो उन्हें अपनी तरफ ध्यान खींचने के लिए कुछ कार्यकर्ता जोरदार आवाज में सोनिया, राहुल और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नारे लगाने लगते हैं। ऐसा ही एक वाकया कार्यकर्ताओं की मीटिंग में हुआ।
जब प्रदेश प्रभारी हरीश रावत अपना भाषण दे रहे थे तो एक कार्यकर्ता जोर-जोर से नारे लगाने लगा। उसका उत्साह देखकर रावत ने भी अपना भाषण रोकते हुए माइक उसकी ओर कर दिया। थोड़ी देर तक नारे लगाने के बाद वह वर्कर शांत हो गया। रावत ने फिर अपना भाषण शुरू कर दिया। कुछ देर बाद कार्यकर्ता जोश में आया और नारे लगाने लगा। इससे रावत में गुस्से में आए और बोले, तुम्हें पहले सम्मान दिया लेकिन अब चुप करके बैठ जाओ।
विधायकों की एकता तो दिखावा थी
महानगर में कांग्रेस की गुटबाजी से हर कोई वाकिफ है। शहर में विश्वकर्मा दिवस पर राज्य स्तरीय समारोह हुआ। इसमें उद्योग मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा बतौर मुख्यातिथि पहुंचे। उनके सामने एकजुटता दिखानी थी तो लंबे समय बाद कांग्रेस नेता एक मंच पर नजर आए। हालांकि उनमें दिल खोलकर बातें नहीं हुईं। मंत्री अरोड़ा की मौजूदगी में विधायक एक साथ बैठे जरूर दिखे, लेकिन उनमें टीस और दूरी बरकरार रही। विधायक या तो अपने समर्थकों से बात करते रहे या फिर चुप रहे।
एक साथ विधायकों को मंच पर देखकर एक कांग्रेसी ने चुटकी लेते हुए कहा कि कोरोना वायरस से पीडि़त मंत्री भारत भूषण आशु नहीं आए, इसलिए सारे विधायक एक साथ नजर आ रहे हैं, अन्यथा इनमें से आधे ने कोई न कोई बहाना बनाकर कार्यक्रम में आना ही नहीं था। कांग्रेसियों पर एक गजल फिट बैठती है...न जी भरकर देखा, न कुछ बात की, बड़ी आरजू थी, मुलाकात की।
कांग्रेसियाें ने पकड़ी देहरादून की राह
जब से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पंजाब कांग्रेस के प्रभारी बने हैं, तब से कांग्रेस नेता उनके साथ नजदीकियां बनाने को लालायित हैं। हरीश रावत के करीब जाने के लिए वह हर हथकंडा अपना रहे हैं। यही नहीं वे उनके करीबियों को तलाश करके गोटियां फिट करने के जुगाड़ में लगे हैं। कुछ कांग्रेस नेता तो लुधियाना से सीधा देहरादून की राह भी पकड़ चुके हैं।
पिछले कुछ समय से हाशिए पर चल रहे कांग्रेस नेता जिला कार्यकारिणी में स्थान पाने के लिए हरीश रावत के घर तक पहुंच बना रहे हैं। इतना ही नहीं, देहरादून में रावत के साथ तस्वीरें ङ्क्षखचाकर सोशल मीडिया पर वायरल भी कर रहे हैं, ताकि लाइमलाइट में आ सकें। साथ ही जिले के शीर्ष कांग्रेस नेताओं को जता रहे हैं कि उनके संबंध अब पंजाब प्रभारी तक हैं। राजनीति की बिसात पर जमे रहने के लिए इतना तो करना ही पड़ता है।