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Weather Forecast : 15 अक्टूबर से होगी तापमान में गिरावट, पंजाब में इस बार जल्दी आएगी सर्दी

Weather Forecast पंजाब में इस बार सर्दी जल्दी आएगी। मौसम वैज्ञानिक डॉ. केके गिल का कहना है कि सर्दी जल्दी आने के कई कारण हैंं। एक तो मानसून की विदाई हो चुकी है। बारिश भी जल्दी खत्म हो गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 11:39 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 11:58 AM (IST)
Weather Forecast : 15 अक्टूबर से होगी तापमान में गिरावट, पंजाब में इस बार जल्दी आएगी सर्दी
पंजाब में इस बार जल्दी आएगी सर्दी। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, लुधियाना। महानगर में वीरवार सुबह तेज धूप निकली। सुबह साढ़े दस बजे ही अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। हवा भी बंद थी, जिसकी वजह से तेज धूप चुभ रही थी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 15 अक्टूबर से दिन का तापमान व रात का तापमान कम होगा। इस बारे में पीएयू के मौसम विभाग की वैज्ञानिक डॉ. केके गिल के अनुसार अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के बाद से जिले में गुलाबी ठंड का असर दिखना शुरू हो जाएगा।

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डॉ. केके गिल के अनुसार इस बार सर्दी जल्दी आएगी। इसके कई कारण है। एक तो मानसून की विदाई हो चुकी है। बारिश भी जल्दी खत्म हो गई। वहीं मंगलवार से हवाओं की दिशा बदल गई है। अब उत्तरी पशिचमी हवाएं चलनी शुरू हो गई है। जब उत्तर से हवाएं शुरू हो जाती है, तो यह सर्दी आने का संकेत है। दूसरा दिन व रात के तापमान में भी गिरावट आने लगी है।

पिछले कुछ दिनों से बादल भी नहीं आ रहे हैं, जिससे मौसम साफ है। बादलों के होने से मौसम गर्म रहता है। लेकिन, बादल न होने से मौसम में ठंडक आ रही है। ऐसे में संभावना है कि 15 अक्टूबर के बाद से सर्दी का मौसम शुरू हो जाएगा। लोगों को गुलाबी ठंड का अहसास होना शुरू हो जाएगा, जबकि पूर्व के वर्षों में ठंड का आगाज नवंबर से होता रहा है। ठंड का मौसम रबी की फसलों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। डॉ. गिल के मुताबिक इस बार ठंड ज्यादा दिनों तक रह सकती है।

अक्टूबर-नवंबर में प्रदूषण बढ़ा तो स्मॉग का खतरा बढ़ेगा

डॉ. केके गिल ने कहा कि पिछले कुछ सालों से सूबे में अक्टूबर नवंबर के महीs नमें एक और समस्या सामने आ रही है। जिसे स्मॉग का नाम दिया जाता है। यह एक तरह की धुएं व मिटटी के कणों की परत होती है, जो स्मॉग के रूप में वातावरण की निचली स्तह में इकटठी होे जाती है। मानसून के बाद हवा का तापमान भी घटना शुरू हो जाता है और वातावरण में नमी की मात्रा ज्यादा होने लगती है, जिससे वातावरण में पानी, धुआं, मिटटी आदि के कण इकटठे होने शुरू हो जाते हैं।

अक्टूबर-नवंबर में पराली जलने के अलावा पटाखें चलने शुरू हो जाते हैं। इन सभी चीजों के इकटठे होने से वातावरण में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता है। जिससे आम जन जीवन प्रभावित होता है। स्मॉग की वजह से इंसानी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इंसानों में सांस की तकलीफ, आंखों में जलन, गले का सूखना, दिल व चमड़ी के रोगों जैसे भयानक परिणाम सामने आते हैं। इस बार तो कोरोना महमारी भी है। ऐसे में इस बार जरूरी हो जाता है कि धान की पराली को जलाने से गुरेज किया जाए, क्योंकि पराली जलाने से पैदा हुई जहरीली गैसें सीधे तौर पर फेफड़ों पर असर करती है। अगर फेफड़े कमजोर होंगे, तो कोरोना बीमारी का खतरा और भी बढ़ जाएगा। जिससे सतर्क रहने की जरूरत है। डॉ. गिल ने कहा कि कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए कोशिश करनी होगी कि इस बार स्मॉग की स्थिति पैदा न हो।


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