सत्संग और गुरु से ही मिलता है ज्ञान: सोनी
श्री रामशरणम किचलू नगर की प्रार्थना सभा में नरेश सोनी म. ने कहा कि राम नाम सुख होय या दुख होय हर समय साधक का साथी होता है। इस बात का पूर्ण विश्वास रखना है। कभी कभी हम धर्म में अधर्म देखते है और कभी अधर्म में धर्म देखते है।
संस, लुधियाना: श्री रामशरणम् किचलू नगर की प्रार्थना सभा में नरेश सोनी म. ने कहा कि राम नाम सुख होय या दुख होय हर समय साधक का साथी होता है। इस बात का पूर्ण विश्वास रखना है। कभी कभी हम धर्म में अधर्म देखते है और कभी अधर्म में धर्म देखते है। हमें कभी भी अपने कर्तव्य पालन से हटना नहीं है। अपने सभी कर्म राम नाम का जाप करते हुए करने है। हमारा जीवन एक युद्ध क्षेत्र है। यह समझना है अगर एक डॉक्टर मरीज की भलाई के लिए उसका चाकू से अंग काटता है तो यह उसके लिये पुण्य का काम है। वहीं उसी चाकू से चोर किसी का अंग काटता है तो यह पाप कर्म है, इसके लिए उसे सजा मिलती है। इसलिए किसी की भलाई के लिए किए कर्मो में कभी संशय नहीं करना है। अपने कर्तव्य कर्मो से विमुख नहीं होना है। आज के युग में सबसे बड़ा रोग संशय और वहमों मे फंसना है। जब जीवन में संशय आ जाता है तो जीवन बर्बाद हो जाता है। संशय कुसंग से आता है। इसलिए हमें कुसंग से भी बचना है। जब संशय और अंध-विश्वास बढ़ जाता है तो सामाजिक ताने बाने नष्ट हो जाते है। इससे बचने के लिए ज्ञान की आवश्यकता है और ज्ञान केवल सत्संग और गुरु से ही मिलता है। प्रभु के सिमरन में दे समय
हमें मानव जीवन बड़ी दुर्लभता से मिला है। मनुष्य के पास जीवन में सीमित समय है जोकि पल-पल कम हो रहा है। इसलिए मनुष्य को इस समय को परोपकार में सेवा में, प्रभु के सिमरन में लगाना चाहिए। क्योंकि अंत में केवल राम नाम ही सहारा देने वाला है।