स्वाइन फ्लू की चपेट में आ रहे बच्चे और बुजुर्ग, जनवरी में दस मामले आए सामने
नए साल के आगमन से ही शहर में स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ गया है। जनवरी माह में स्वाइन फ्लू के दस मामले सामने आए हैं।
लुधियाना, [आशा मेहता]। नए साल के आगमन से ही शहर में स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ गया है। फिलहाल स्वाइन फ्लू के निशाने पर बच्चे और 49 साल से अधिक उम्र के लोग हैं। चिकित्सकों के अनुसार बच्चों, बुजुर्गो और गर्भवती महिलाओं में प्रतिरोधक क्षमता कम होने और पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित होने पर स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ जाता है। मधुमेह, किडनी, हृदय और फेफड़ों के रोग से पीड़ित मरीजों को इस मौसम में खास सतर्क रहने की जरूरत है। सेहत विभाग के अनुसार जिले में इस साल जनवरी में अब तक स्वाइन फ्लू के 10 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इसमें से तीन ने दम तोड़ दिया है। वहीं 49 साल से अधिक उम्र वालों में दुगरी की 76 वर्षीय महिला, समराला से 53 वर्षीय व्यक्ति, जगराओं से 55 वर्षीय व्यक्ति, एसबीएस नगर से 65 वर्षीय महिला, सुधार से 64 वर्षीय महिला व टिब्बा रोड इकबाल नगर से 49 वर्षीय व्यक्ति शामिल है। वहीं रायकोट के ब्रह्मपुरा से पांच वर्षीय बच्चा, विवेकधाम इलाके का 12 वर्षीय बच्चा, कूमकलां के शेरियां से 34 वर्षीय महिला और गांव कालख की 30 वर्षीय महिला भी स्वाइन फ्लू की चपेट में आई है।
सामान्य फ्लू की तरह ही होते हैं इसके लक्षण
मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. प्रदीप के अनुसार स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य फ्लू के लक्षणों की तरह ही होते हैं। बुखार, तेज ठंड लगना, गला खराब, मांसपेशियों में दर्द, तेज सिरदर्द, खांसी, कमजोरी, तेज जुकाम व बुखार, सास फूलना और नाक काफी ज्यादा बहना आदि लक्षण इस बीमारी के दौरान उभरते हैं। ज्यादातर लोग इन लक्षणों को सामान्य फ्लू समझ कर घर पर सेल्फ मेडिकेशन करते हैं। जब तक लोगों को बीमारी की समझ आती है, तब तक स्वाइन फ्लू के वायरस लंग्स को अपनी चपेट में ले चुके होते हैं।
वैक्सीनेशन स्वाइन फ्लू के जोखिम को करती है कम
मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. प्रदीप कपूर के अनुसार स्वाइन फ्लू के जोखिम को कम करने के लिए वैक्सीनेशन करवाई जा सकती है। इससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। हालांकि फिजिशियन का परामर्श जरूर लें। उनके अनुसार स्वाइन फ्लू की चपेट में बच्चे और 50 से अधिक आयु वाले ज्यादा आते हैं। इसका कारण उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होना होता है। इसके अलावा ज्यादातर वो मरीज होते हैं, जो अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी, मधुमेह, हृदय रोग व अन्य किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं। इस तरह के मरीजों को प्राइमरी डिसीज कंट्रोल करनी चाहिए।
इस मौसम में वायरस फैलने का रहता है खतरा
सिविल सर्जन डॉ. परविंदरपाल सिंह सिद्धू ने कहा कि इस साल अभी तक 10 मरीज स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाए गए है। 15 संदिग्ध मरीज शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती है। इस मौसम में स्वाइन फ्लू के वायरस के फैलने का खतरा रहता है। स्वाइन फ्लू का वायरस नाक से सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश करता है और फेफड़ों पर हमला करता है। इससे सांस लेने में तकलीफ होती है और समय पर इलाज न करवाने पर निमोनिया हो जाता है।
ये होते हैं लक्षण, सरकारी अस्पताल में इलाज फ्री
सिविल सर्जन के अनुसार स्वाइन फ्लू के लक्षण आम फ्लू की तरह होते हैं। अगर किसी को दो दिन से ज्यादा सर्दी, बुखार, जुकाम, शरीर में दर्द, नाक से पानी आना, डायरिया, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत उसे सिविल अस्पताल या किसी अच्छे अस्पताल के चिकित्सक से दिखाएं। खुद कैमिस्ट से दवा खरीद कर न लें। सरकारी अस्पताल में स्वाइन फ्लू की जांच और इलाज निशुल्क होता है।