सुख, शांति आनंद चाहिए तो श्रेय की साधना करें: स्वामी निगम बोध
आप और हम दोनों ही साधना कर रहे हैं। हम श्रेय की साधना कर रहे हैं और आप प्रेय की।
संस, लुधियाना : आप और हम दोनों ही साधना कर रहे हैं। हम श्रेय की साधना कर रहे हैं और आप प्रेय की। यदि सुख, शांति आनन्द चाहिए तो श्रेय की साधना करनी चाहिए। मानव जीवन में यह अवसर आया है। इस जीवन को सार्थक व सफल बनाना है तो श्रेय की साधना करनी चाहिए। ये पंक्तियां भारत धर्म प्रचारक मंडल की ओर से वेद मंदिर में कराई जा रही कार्तिक कथा में स्वामी निगम बोध तीर्थ ने व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि आज भौतिकता की चकाचौंध में मानव ने आत्मा को विस्मृत कर दिया है। यदि आत्म शांति और सुख चाहिए तो जिनवाणी का आधार लें जिससे शिव-रमणी को प्राप्त करेंगे। स्वामी देवेश्वानंद तीर्थ ने कहा कि एक-दूसरे को प्रणाम करने से परिवार का वातावरण आनंदमय हो जाता है। पहले के जमाने में बेटा पचास साल तक भी बाप से अलग नहीं होता था, क्योंकि घरों में प्रणाम करने की आदत थी, लेकिन आज प्रणाम न करने की आदत होने से बेटा शादी करते ही अलग हो जाता है। जब से प्रणाम करने की आदत कम हुई है तब से परिवारों के टूटने और तलाक बढ़ने की बाढ़-सी आ गई है। जिस घर में सुबह की शुरुआत प्रणाम से होती है वहां कभी कलह का वातावरण नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि अगर आपके घर में छोटों में प्रणाम करने की आदत नहीं है तो आप बड़प्पन दिखाकर उन्हें प्रणाम करना शुरू कर दीजिए तो वे भी प्रणाम करना सीख जाएंगे। इस अवसर पर स्वामी प्रणवानंद तीर्थ, आचार्य सत्य नारायण, पं. दीप वशिष्ठ, पवन दीदी, पं. सौरभ आदि शामिल थे।