सुपर-40 टीचर बनाएंगे बच्चों को काबिल
प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों के बच्चों को मनोवैज्ञानिक मदद की जाएगी।
जागरण संवाददाता, जगराओं: प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों के बच्चों को मनोवैज्ञानिक मदद और करियर काउंसलिंग की सुविधा देने के लिए अब शिक्षा विभाग ने नया प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट का नाम मशाल रखा गया है। मशाल प्रोजेक्ट का उददेश्य ही यही है कि बच्चों को काउंसलिंग के माध्यम से मनोवैज्ञानिक मदद दी जाए और उनकी करियर गाइडेंस भी की जा सके। ताकि स्कूली पढ़ाई के दौरान किसी तनाव के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर न हो और वहीं अपनी स्कूल पढ़ाई खत्म होने के बाद वह अपने करियर का चुनाव सही तरीके से कर सकें। इसके लिए हर जिले में आदेश पंजाब स्कूल शिक्षा विभाग ने दे दिए हैं। स्थानीय जिले में भी इसका आदेश पहुंच चुका है और जल्द ही जिले में भी इसपर काम शुरू होने वाला है। शिक्षा विभाग का तर्क है कि इस प्रोजेक्ट से बच्चों को सही प्रोफेशन चुन कर करियर में कामयाबी पाने में काफी मदद मिलेगी। अकसर स्कूली शिक्षा के दौरान बच्चे यह तय नहीं कर पाते हैं कि करियर में उन्हें आगे क्या करना है। ज्यादातर बच्चे पढ़ाई खत्म होने तक इसी पसोपेश में रहते हैं कि स्कूली शिक्षा मुकम्मल होने के बाद वह किस स्ट्रीम में पढ़ाई करेंगे और आगे चलकर उसी को प्रोफेशन बनाएंगे। सही निर्णय न ले पाने की स्थिति में जहा बच्चों के करियर में कई अड़चनें आतीं है तो कई बार काफी समय भी यूं ही बर्बाद हो जाता है। कई बार गलत स्ट्रीम चुनने के बाद बच्चों की रुचि नहीं रहती जिसके कारण वह उस स्ट्रीम में खुद को असहज भी समझने लगते हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग का यह प्रोजेक्ट बच्चों के लिए सहायक होने वाला है। हर जिले में चुने जाएंगे 40 स्कूल
मशाल प्रोजेक्ट की स्टेट कोआर्डिनेटर ज्योति सोनी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में हर जिले में 40 स्कूलों का चुनाव किया जाएगा। हर जिले में 40 स्कूल चुनने के बाद एक-एक अध्यापक हर स्कूल से चुना जाएगा। इन अध्यापकों को ही सुपर-40 कहा गया है। इन सुपर-40 अध्यापकों को स्टेट लेवल पर ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग अध्यापकों को चंडीगढ़ में निशान एजुकेशन ट्रस्ट के सहयोग से दी जा रही है। निशान एजुकेशन ट्रस्ट की चेयरपर्सन रणजीत पवार व हरदीप सिंह अध्यापकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। इस ट्रेनिंग के मुकम्मल होने के बाद यही सुपर-40 अध्यापक अपने जिले में जाकर अन्य अध्यापकों को ट्रेनिंग देंगे और इसके बाद स्कूली पढ़ाई के दौरान ही बच्चों को मनोवैज्ञानिक मदद और करियर गाइडेंस दी जाएगी।