एसएस जैन सभा 100 वरिष्ठ नागरिकों को करेगी सम्मानित
जैन स्थानक सिविल लाइंस में रविवार को विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।
संस, लुधियाना : श्रमण संघीय सलाहकार तपस्वीरत्न सुमति प्रकाश के सुशिष्य श्रमण संघीय मंत्री आशीष मुनि, तत्व चितक उत्तम ठाणा-2, जिन शासन ज्योति साध्वी गीता आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में जैन स्थानक सिविल लाइंस में रविवार को विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।
समारोह में 75 वर्ष या उससे अधिक जैन समुदाय के वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया जाएगा। सभाध्यक्ष अरिदमन जैन व महामंत्री प्रमोद जैन ने कहा कि पहली बार सभा द्वारा ऐसा कार्य होगा, जिसमें 100 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को सम्मान दिया जाएगा। समारोह प्रात 8.15 से आरंभ होगा।
वहीं एसएस जैन सभा सिविल लाइंस में चातुर्मास सभा जारी है। शुक्रवार को श्रमण प्रवर मंत्री आशीष मुनि ने प्रवचन करते हुए कहा कि मन के कर्म प्रभावी होते हैं, जो चिरकाल तक हमें लाभ पहुंचाते हैं। उन्होंने मौजूद लोगों से चितन कर अपने मन को शुद्ध करने की अपील की। उन्होंने कहा कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं, पहला जो हम तन से करते हैं। दूसरा जो हम वचन से करते हैं। तीसरा जो कर्म मन से किए जाते हैं। इन सभी में से मन से किया गया कर्म का प्रभाव सबसे अधिक प्रभावी होता है। वह केवल इस जन्म में ही नहीं, बल्कि अगले जन्म में भी फल देते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि बाकी सब कर्म केले के पौधे के समान हैं। वे केवल एक बार फल देते हैं, लेकिन मन के कर्म बार-बार फलते रहते हैं। अगर हम अपने मन में क्रोध व ईष्र्या रखेंगे, तो मन के कर्म खराब होंगे। इससे दूसरे लोगों के साथ-साथ खुद को भी नुकसान होगा। इसलिए ईष्र्या, बैर व द्वेष को अपने मन से निकालकर अपने मन को शुद्ध करें। उन्होंने कहा कि हमारे मन में प्रेम और क्रोध दोनों का वास होता है। ये हम पर निर्भर करता है कि हम प्रेम से अपने क्रोध पर विजय प्राप्त करते हैं या फिर क्रोध के वशीभूत होकर प्रेम को मरने देते हैं। चितन से अपने मन को करें स्वस्थ: डॉ. द्वीपेंद मुनि
डॉ. द्वीपेंद मुनि ने कहा कि जिनेंद्र भगवान के वचन औषधि के रूप में काम करते हैं। इसके माध्यम से तन व मन दोनों स्वस्थ रहता है। उन्होंने कहा तन के डॉक्टर पैसे खर्च करने पर मिल जाते हैं पर मन के डॉक्टर पैसे से नहीं मिलते, बल्कि भगवान के प्रति आस्था व श्रद्धा के माध्यम से मन को शांत किया जा सकता है। वर्तमान परिदृश्य में हर व्यक्ति तन व मन दोनों से दुखी है। उसके पास चितन के लिए समय ही नहीं है जबकि, चितन से हमारा मन स्वस्थ होता है।