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Bhagwat Katha in Ludhiana: स्वामी दयानंद बाेले-अध्यात्म योग ही मनुष्य का जीवन रखेगा सुखी

Bhagwat Katha in Ludhiana कथावाचक स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज ने कथा के चौथे दिन कपिल उपदेश की कथा सुनाई। उन्हाेंने फरमाया किपिता के वन में चले जाने पर भगवान कपिल जी माता का प्रिय करने की इच्छा से उस बिंदुसर तीर्थ में रहने लगे।

By Vipin KumarEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 08:55 AM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 08:55 AM (IST)
Bhagwat Katha in Ludhiana: स्वामी दयानंद बाेले-अध्यात्म योग ही मनुष्य का जीवन रखेगा सुखी
सिविल लाइन के गुरुनानक पुरा स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में प्रवचन करते स्वामी दयानंद सरस्वती। (जागरण)

लुधियाना, जेएनएन। सिविल लाइन के गुरुनानक पुरा स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर व कमलकुटी आश्रम में कथावाचक स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज ने कथा के चौथे दिन कपिल उपदेश की कथा सुनाई। उन्हाेंने फरमाया किपिता के वन में चले जाने पर भगवान कपिल जी माता का प्रिय करने की इच्छा से उस बिंदुसर तीर्थ में रहने लगे। एक दिन कपिल जी आसान पर विराजमान थे। देवहुति जी कपिल जी के पास गई और बोली- इन दुष्ट इन्द्रियों को मैं विषय देते देते ऊब गई हूं। इन देह-गेह आदि में मेरेपन का दुराग्रह होता है, वह भी आपका ही कराया हुआ है; अतः अब आप मेरे इस महामोह को दूर कीजिये। मैं आपकी शरण में आई हूं। आप भागवत धर्म जानने वालों में सबसे श्रेष्ठ हैं, मैं आपको प्रणाम करती हूं।

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भगवान कपिल ने कहा—माता! यह मेरा निश्चय है कि अध्यात्मयोग ही मनुष्यों के आत्यन्तिक कल्याण का मुख्य साधन है, जहां दुःख और सुख की सर्वथा निवृत्ति हो जाती है । इस जीव के बन्धन और मोक्ष का कारण मन ही माना गया है। विषयों में आसक्त होने पर वह बंधन का हेतु होता है और परमात्मा में अनुरक्त होने पर वही मोक्ष का कारण बन जाता है । जिस समय यह मन मैं और मेरेपन के कारण होने वाले काम-लोभ आदि विकारों से मुक्त एवं शुद्ध हो जाता है, उस समय वह सुख-दुःख से छूटकर सम अवस्था में आ जाता है । मेरी भक्ति के समान और कोई मंगलमय मार्ग नहीं है। जो लोग सहनशीन, दयालु, समस्त देहधारियों के अकारण हितू, किसी के प्रति भी शत्रुभाव न रखने वाले, शांत, सरल स्वभाव और सत्पुरुषों का सम्मान करने वाले होते हैं, जो मुझमें अनन्य भाव से सुदृढ़ प्रेम करते हैं।

मां तू सत्संग कर। सत्पुरुषों के समागम से मेरे पराक्रमों का यथार्थ ज्ञान कराने वाली तथा हृदय और कानों को प्रिय लगने वाली कथाएं होती हैं। उनका सेवन करने से शीघ्र ही मोक्ष मार्ग में श्रद्धा, प्रेम और भक्ति का क्रमशः विकास होगा। और जो मेरी लीलाओं का चिंतन करेगा मेरी कथा को सुनेगा, उसे सत्य का बोध हो जाएगा फिर अंत में उसे मेरा धाम प्राप्त होगा। भागवत कथा में रिंकू,निर्मला, रेनू, वीणा देवी,प्रेम ग्रोवर,उमा,अरुण,पंडित नारायण,ब्रह्मचारी दिव्य चैतन्य,सागर आदि ने भागवत महापुराण की आरती की।

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