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क्रोध चंडाल का रूप : रमेश मुनि

एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर में रमेश मुनि मुकेश मुनि व मुदित मुनि सुखसाता विराजमान हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 01:46 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 01:46 AM (IST)
क्रोध चंडाल का रूप : रमेश मुनि
क्रोध चंडाल का रूप : रमेश मुनि

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर में रमेश मुनि, मुकेश मुनि व मुदित मुनि सुखसाता विराजमान हैं। रविवार के संदेश में गुरुदेव रमेश मुनि ने कहा कि दुनिया में अनेक विधिवता नजर आती हैं। कोई सुखी है, तो कोई दुखी। कोई महलों में आनंद से रह रहा हैं, तो किसी को सिर ढकने को नसीब नहीं। यह सब क्या व क्यों है? ज्ञानजन फरमाते हैं, यह अपने पुण्य या पाप के मीठे या कटु फल का ही परिणाम है। आज का बीज भविष्य का वृक्ष है। इसी प्रकार से सद्कर्म पुण्य बनकर फल देता है। उन्होंने आगे कहा, क्रोध चंडाल है। मन में छिपा हुआ आत्मा का बहुत बड़ा दुश्मन है। क्रोधी सर्वप्रथम स्वयं जलता है, पीड़ित होता है व फिर दूसरे को जलाने वाला बनता है। क्रोधी क्रोध के समय अंधा बन जाता है। यह समझ नहीं पाता कि मेरे आगे कौन खड़ा है। किसके साथ क्या बोलना है? यह विवेक उसके जीवन में नहीं रहता। मुकेश मुनि ने कहा, गुस्सा क्रोधी का खून जहरनुमा बना देता है। यदि नारी क्रोध कर रही है और उस वक्त बच्चे को दूध पिलाती है, तो उसका दूध बच्चे के लिए जहर का काम करने वाला बनता है।

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इससे पहले शनिवार को गुरुदेव रमेश मुनि ने कहा कि वस्तु सीमित है, जबकि इच्छाएं अनंत हैं। सीमित वस्तु से अनंत इच्छाओं की तृप्ति नहीं हो सकती है। इच्छाएं अनंत है और आकाश के समान है। जैसे-जैसे लाभ होता है, वैसे-वैसे लोभ बढ़ता चला जाता है। लोभ-लोभी को कभी शांति से बैठने नहीं देता है। एक इच्छा की पूर्ति हुई नहीं कि चार इच्छाएं और पैदा हो जाती हैं।


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