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फेसबुक साहित्य के लिए बुरा नहीं, अच्छा है : जफर

हमें सोशल मीडिया की निंदा करने की बजाय उसके अच्छे प्रभावों की बात करनी चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 02:02 PM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 02:02 PM (IST)
फेसबुक साहित्य के लिए बुरा नहीं, अच्छा है : जफर
फेसबुक साहित्य के लिए बुरा नहीं, अच्छा है : जफर

जेएनएन, लुधियाना : हमें सोशल मीडिया की निंदा करने की बजाय उसके अच्छे प्रभावों की बात करनी चाहिए। जैसे कि फेसबुक अच्छे साहित्य व कला को विश्व स्तर पर साझा करके एक सुचेतक पाठकीय समाज सृजन करने में विशेष भूमिका अदा कर रही है। इसके साथ ही आप जो भी पेशा करते हो, वह आपके लेखन में नजर आना चाहिए। यदि मैं पेशे से इंजीनियर हूं तो पाठक को मेरे लेख पढ़ते समय यह महसूस होना चाहिए।

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इन शब्दों का इजहार प्रसिद्ध लेखक एवं चिंतक जसवंत जफर ने किया। वह पीएयू लुधियाना की विद्यार्थी लेखक संस्था यंग राइटर्ज एसोसिएशन की 52वीं वर्षगाठ के मौके पर विद्यार्थियों से मुखातिब हो रहे थे। इस दौरान जफर ने संस्था के विद्यार्थियों के तीखे सवालों के जवाब देते हुए बतौर लेखक, कार्टूनिस्ट, कवि, चिंतक व अपनी जिंदगी के तजुर्बे को साझा किया। कहा कि कविता सुन्दरता की तरह है जो कि नियमों से परे होती है। दुख की बात है कि आज हमारी युवा पीढ़ी साहित्य से टूट रही है। अकसर इसका दोष मनोरंजन के विकसित साधनों को माना जाता है। हालाकि जिन देशों में टीवी, कंप्यूटर आदि पहले पहुंच गए थे, वहां किताबें पढ़ने पर अभी भी अधिक ध्यान दिया जाता है।

इससे पहले संस्था के तुषार कुमार, कंवर धालीवाल, हरविन्दर सिंह, गुरजीत कुमार तथा सुखपाल कौर ने सामाजिक मुद्दों पर चोट कसते हुए गीत, कविताएं, हास्य-रस, मिमिक्री आदि सुना सभी को मंत्रमुग्ध किया। संदीप कौर ने संस्था की सुनहरी विरासत के बारे में बताया कि इस संस्था की स्थापना 26 अगस्त, 1966 को पीएयू के लेखक विद्यार्थी, अध्यापकों व बुद्धिजीवियों की तरफ से साहित्यक गतिविधियों करने व पढ़ने के रुझान को बढ़ाने के मकसद से की गई थी।


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