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अब समार्ट सिटी के सहारे सेफ सिटी प्रोजेक्ट, मरम्मत के लिए नहीं था फंड तो निगम को दिया एक्सेस

औद्योगिक नगरी में वर्ष 2016 में शिअद-भाजपा सरकार की तरफ से शुरू किए सेफ सिटी प्रोजेक्ट को अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से सहारा मिला है। पुलिस के इस अहम प्रोजेक्ट के लिए सरकार फंड नहीं दे रही थी जिस कारण कैमरे और अन्य सामान खराब होने लगा था। अब इसके सालाना रखरखाव का ठेका (एएमसी) स्मार्ट सिटी के तहत एचसीएल को पांच वर्ष के लिए दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 12:55 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 12:55 AM (IST)
अब समार्ट सिटी के सहारे सेफ सिटी प्रोजेक्ट, मरम्मत के लिए नहीं था फंड तो निगम को दिया एक्सेस
अब समार्ट सिटी के सहारे सेफ सिटी प्रोजेक्ट, मरम्मत के लिए नहीं था फंड तो निगम को दिया एक्सेस

दिलबाग दानिश, लुधियाना : औद्योगिक नगरी में वर्ष 2016 में शिअद-भाजपा सरकार की तरफ से शुरू किए सेफ सिटी प्रोजेक्ट को अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से सहारा मिला है। पुलिस के इस अहम प्रोजेक्ट के लिए सरकार फंड नहीं दे रही थी, जिस कारण कैमरे और अन्य सामान खराब होने लगा था। अब इसके सालाना रखरखाव का ठेका (एएमसी) स्मार्ट सिटी के तहत एचसीएल को पांच वर्ष के लिए दिया गया है। इस रखरखाव के बदले में पुलिस को अपने कुछ कैमरों का एक्सेस निगम को देना पड़ा है, जबकि पहले सेफ सिटी के कार्यालय में भी किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध था।

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सेफ सिटी प्रोजेक्ट का उद्घाटन नवंबर 2016 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने किया था। गृह विभाग की तरफ से शहर में 1400 कैमरे लगाए गए थे। इनके जरिए पुलिस के अधिकारी शहर के ज्यादातर हिस्सों पर नजर रख सकते थे। यही नहीं, ये हाईडेफीनेशन (एचडी) कैमरे किसी गाड़ी में बैठे व्यक्ति तक की शिनाख्त करने के सक्षम हैं। एक बार एक कैमरे के सामने आ जाने पर ये कैमरे उस गाड़ी के पूरे रूट का ट्रैक बना देते हैं। शहर में हुए कई बड़े अपराधों को इन कैमरों की मदद से सुलझाया भी गया था, लेकिन पिछले कुछ समय से इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार की तरफ से फंड नहीं दिया जा रहा था। फंड के अभाव में कैमरे व बैटरियां खराब भी हो रही थीं।

16 हजार निजी कैमरों को भी सर्वर से नहीं जोड़ सकी पुलिस

पुलिस की तरफ से वर्ष 2018 में योजना बनाई गई थी कि शहर में निजी इमारतों के बाहर लगे कैमरों को भी सेफ सिटी प्रोजेक्ट के सर्वर से जोड़ा जाएगा। इसके लिए 16 हजार कैमरों का चयन भी कर लिया गया था। मगर सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगाया गया सर्वर इन कैमरों की रिकार्डिंग नहीं झेल पा रहा था। इसलिए पुलिस को इसकी स्टोरेज स्पेस बढ़ाने की जरूरत थी। मगर फंड की कमी के कारण यह भी नहीं हो सका था। हालांकि अब इसकी स्टोरेज स्पेस बढ़ा दी गई है।

ई-चालान की योजना भी अधर में

पुलिस की तरफ से चंडीगढ़ की तर्ज पर कैमरों के जरिए चालान काटने की योजना बनाई गई थी। इसका एलान एडीजीपी ट्रैफिक कर भी चुके हैं, मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। सबसे बड़ी समस्या इसके लिए नया यूनिट लगाने और मैन पावर की आ रही है। पुलिस फिलहाल फिरोजपुर रोड और चंडीगढ़ रोड़ को इस प्रोजेक्ट के तहत ई चालान जोन बनाना चाहती है और इस पर काम भी कर रही है। हालांकि इसे भी सफलता मिलने में अभी देर लग सकती है।

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सेफ सिटी प्रोजेक्ट असरदार और सुरक्षित : सीपी

सेफ सिटी प्रोजेक्ट को एक निजी कंपनी को हैंड ओवर करने के मामले में पुलिस कमिश्नर डा. कौस्तुभ शर्मा ने कहा कि ये प्रोजेक्ट पूरी तरह सुरक्षित है। ये असरदार भी है, तभी इससे कई अपराध भी ट्रेस किए जा चुके हैं। इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए हर तरह से प्रयास किए जा रहे हैं। नगर निगम खुद भी अपने कैमरे लगाने जा रहा है और यह कैमरे हमारे भी काम आएंगे।


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