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Boxing Ring में उतर सिमरनजीत कौर ने परिवार की गरीबी को मिटाया, लुधियाना के गांव च्रक से निकल टोक्यो ओलिंपिक में बनाई जगह

सिमरनजीत ओलिंपिक में पांच के मुकाबले शून्य से हारी हूं लेकिन इस हार शब्द को वहीं रिंग में छोड़ दिया था। मेरा लक्ष्य केवल सफलता हासिल करना है। असफलता का कारण यह भी है कि पहली बार 60 किलो वर्ग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेली हूं।

By Vipin KumarEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 12:01 PM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 12:41 PM (IST)
Boxing Ring में उतर सिमरनजीत कौर ने परिवार की गरीबी को मिटाया, लुधियाना के गांव च्रक से निकल टोक्यो ओलिंपिक में बनाई जगह
पंजाब की पहली महिला बाक्सर सिमरनजीत कौर देश व दुनिया में गांव चक्र का नाम रोशन कर चुकी हैं।

जगराओं, (लुधियाना) बिंदु उप्पल। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में पंजाब की पहली महिला बाक्सर सिमरनजीत कौर देश व दुनिया में गांव चक्र का नाम रोशन कर चुकी हैं। वह अब 21 से 27 अक्टूबर तक हरियाणा के हिसार में होने वाले इलाइट वूमेन बाक्सिंग चैंपियनशिप में भाग लेने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलिंपिक 2020 से पहले उन्हें कोरोना हो गया था। इस कारण वह पदक जीतने से चूक गई थी।

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ओलिंपिक में पांच के मुकाबले शून्य से हारी हूं लेकिन इस हार शब्द को वहीं रिंग में छोड़ दिया था। मेरा लक्ष्य केवल सफलता हासिल करना है। उन्होंने कहा कि मेरी असफलता का कारण यह भी है कि पहली बार 60 किलो वर्ग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेली हूं। इससे पहले 64 किलो वर्ग, 54 किलो वर्ग, 51 किलो वर्ग तक खेली हूं। अभी एशियन चैंपियनशिप में वर्ष 2019 में 64 किलो वर्ग में सिल्वर पदक जीता था और 60 किलो वर्ग ग्रुप में पहली बार खेली हूं।

मुक्केबाज सिमरनजीत कौर का कहना है कि उन्होंने बचपन से गरीबी देखी थी। उस समय घर की हालत भी ठीक नहीं थी। खेलने के मुताबिक खुराक नहीं मिलती थी। आय कम थी और मां पर चार बच्चों को पालने की जिम्मेदारी थी। ऐसे में मैंने तय किया कि जीवन में आगे बढ़ूंगी। जैसे-जैसे मैं खेलती गई और जीत हासिल करती गई परिवार के हालात भी बदलते गए। अब परिवार की आर्थिक हालत ठीक हुई है। सिमरनजीत ने बताया कि अकादमी के प्रमुख अजमेर सिंह सिद्धु और बलदेव सिंह सिद्धु की मदद से उन्होंने प्रोफेशनल बाक्सर बनने की ओर कदम बढाया। ओलिंपिक तक पहुंचकर उन्होंने अजमेर सिंह का सपना पूरा किया है।

मां की बदौलत पाया मुकाम

सिमरनजीत कौर कहती हैं कि मां राजपाल कौर की बदौलत वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाक्सिंग रिंग में खेलने के योग्य बनी हैं। उन्होंने आगे बढ़ाने के लिए कभी घर की गरीबी को आड़े नहीं आने दिया। युवा पीढ़ी भी चुनौतियों को स्वीकार करे और आगे बढ़े।

टोक्यो ओलिंपिक से खुला कामवेल्थ गेम्स का रास्ता

सिमरनजीत कौर का कहना है कि टोक्यो ओलिंपिक 2020 में वह सफल नहीं हो पाईं लेकिन उनका भविष्य में होने वाली कामनवेल्थ गेम्स में खेलने का रास्ता साफ हो गया है। इन गेम्स में वही खिलाड़ी ट्रायल देकर खेल सकता है जो ओलिंपिक खेला हो। वर्ष 2022 में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप सीनियर बाक्सिंग खेलने का लक्ष्य है और स्वर्ण पदक जीतना है।


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