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रबड़ और केमिकल के आयात पर कोविड टैक्स लगाने के संकेत, उद्योगपति चिंतित

रबर और केमिकल आयात पर टैक्‍स लगाने की तैयारी है। इससे पंजाब के उद्योगपति चिंतित हो गए हैं। इससे कोरोना के मार के बीच उन पर और भार बढेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 09:11 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 09:11 AM (IST)
रबड़ और केमिकल के आयात पर कोविड टैक्स लगाने के संकेत, उद्योगपति चिंतित
रबड़ और केमिकल के आयात पर कोविड टैक्स लगाने के संकेत, उद्योगपति चिंतित

लुधियाना, जेएनएन। कोरोना महामारी के कारण करीब दो माह तक औद्योगिक गतिविधियां बंद रहीं। अब इकाइयों को चलाने की सशर्त इजाजत दी गई तो उद्यमियों ने राहत की सांस ली। अब केंद्र सरकार रबड़ एवं केमिकल्स के आयात पर 15 फीसद कोविड टैक्स लगाने के संकेत से उद्यमी परेशान हैं। सरकार की इस मंशा से उद्यमी चिंतित हैं। रबड़, इंजीनियरिंग उद्योग इत्यादि में केमिकल्स का भी उपयोग होता है। नया टैक्स लगने से आयात महंगा हो जाएगा। उद्यमियों का तर्क है कि सरकार कच्चे माल की बजाय तैयार माल के आयात पर टैक्स लगाए। इससे घरेलू उद्योगों को संरक्षण मिलेगा।

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उद्यमी बोले, सरकार पंद्रह फीसद टैक्स लगाने की तैयारी में, नया टैक्स लगने से महंगा होगा आयात

उद्यमियों ने बताया कि केंद्र सरकार केमिकल, पेट्रोकेमिकल के आयात पर पंद्रह फीसद कोविड टैक्स लगाने पर मंथन कर रही है। वह बताते हैं कि सरकार ने आर्गेनिक व इन आर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक, रबड़, मैनमेड फिलामेंट एवं मेनमैड स्टेपल फाइबर को टैक्स लगाने की सूची में रखा है। अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 तक उक्त उत्पादों का देश में आयात करीब 87 बिलियन डॉलर का हुआ।

ऑल इंडिया रबड़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मोङ्क्षहदर गुप्ता ने कहा कि कोविड टैक्स लगने से उद्योग के लिए आयात महंगा हो जाएगा। इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी। बाजार में पहले ही मांग कम है। ऐसे में इसे मैनेज करना उद्यमियों के लिए मुश्किल होगा।

गुप्ता ने कहा कि कोविड टैक्स विदेशों से आने वाले उक्त उत्पादों पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी के बाद लगेगा। लॉकडाउन से पहले स्टाइरिन बुटाडेन रबड़-एसबीआर की कीमत 103 रुपये प्रति किलो थी। लॉकडाउन में काम न होने के कारण कीमत अस्सी रुपये प्रति किलो रह गई। अब नया कर लगने के बाद कीमत फिर से सौ रुपये के आसपास हो जाएगी।

उन्‍होंने कहा कि यह थाईलैंड एवं दक्षिण कोरिया से आयात की जाती है। कई तरह की रबड़ देश में नहीं बनती। इंडस्ट्री बूट में खपने वाली रबड़ निटरिन, विटॉन, सिलीकॉन, पॉली क्लोरोलीन इत्यादि रबड़ का सौ फीसद आयात करती है। इसके लिए इंडस्ट्री आयात पर निर्भर है। अब नया कर लगने से ये महंगी हो जाएगी।

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सुझाव : सरकार तैयार माल के आयात पर कर लगाए

मोहिंदर गुप्ता के अनुसार सरकार को कच्चे माल के आयात पर ड्यूटी लगाने की बजाय तैयार माल के आयात पर नए कर लगाने चाहिए। साथ ही जो माल देश में नहीं बनते, उनके आयात को कस्टम ड्यूटी से मुक्त किया जाए। इससे घरेलू उद्योगों को बड़ी राहत मिलेगी और वे बाजार की चुनौतियों का मुकाबला कर पाएंगे। इसके अलावा मेक इन इंडिया के साथ-साथ क्रिएट इन इंडिया को भी तवज्जो दी जाए। मसलन जो माल देश में नहीं बनता, उसे बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएं, ताकि आयात को कम किया जा सके।

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