Bhagwat Katha in Ludhiana: स्वामी दयानंद बाेले-सत्कर्म करने वालाें के हृदय में वास करते हैं भगवान
Bhagwat Katha in Ludhiana कथा में तीसरे दिन स्वामी जी ने शिव विवाह ध्रुव चरित्रप्रह्लाद चरित्रकपिल उपदेश वृतासुर वध प्रसंग आदि की कथा का संगीतमय वर्णन किया गया। उन्होंने बताया कि किस तरह कश्यप ऋषि व अदिति के पुत्र के रूप में जन्म के बारे में बताया।
लुधियाना, जेएनएन। आपके हृदय में भगवान का वास है तो श्रीहरि पाप, पाखंड, रजोगुण, तमोगुण से हमेशा दूर रखते हैं। भगवान का उन्हीं लोगों के हृदय में वास होता है, जो सत्कर्म करते हैं। अनैतिक कमाई का लाभ तो कोई भी उठा सकता है। परंतु अनैतिक कर्मों को हमें ही भोगना होगा। इसलिए कर्म करनें में सावधानी बरते। सिविल लाइन गुरुनानक पुरा, श्री बांके बिहारी मंदिर व कमलकुटी आश्रम में श्रीमद्भागवत कथा में तीसरे दिन व्यास पीठ से कथा सुनाते हुए स्वामी दयानंद सरस्वती जी महराज ने यह बात कही।
कथा में तीसरे दिन स्वामी जी ने शिव विवाह, ध्रुव चरित्र,प्रह्लाद चरित्र,कपिल उपदेश ,वृतासुर वध प्रसंग आदि की कथा का संगीतमय वर्णन किया गया। उन्होंने बताया कि किस तरह कश्यप ऋषि व अदिति के पुत्र के रूप में जन्म लेकर किस तरह श्रीनारायण ने राजा बलि से भिक्षा में तीन पग जमीन मांगी। और ढाई पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया। शिव व सति प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि किस तरह शिव (पति की) आलोचना सुनने पर सति माता ने अपना शरीर यज्ञ कुण्ड में भस्म कर दिया। जब शिवजी ने सती की देह को लेकर भ्रमण किया तो नारायण के चक्र से सती माता के शरीर 51 स्थानों पर गिरा, जहां शक्ति पीठों की उत्पति हुई।
जीवात्म का सच्चा संबंध सगे संबंधियों से नहीं बल्कि प्रभु से होना चाहिए। वह जीवन निरर्थक है जो मनुष्य जन्म में भी प्रभु की भक्ति न करे। शिव विश्वास और माता पार्वती श्रद्धा हैं। भागवत कथा में पूर्वांचली नेता चंद्रभान चौहान,पार्षद जयप्रकाश शर्मा, रिंकू, निर्मला, रेनू, वीणा देवी,प्रेम ग्रोवर,उमा,अरुण,पंडित नारायण,ब्रह्मचारी दिव्य चैतन्य,सागर आदि ने भागवत महापुराण की आरती की।