लुधियाना के Pink Plaza में दुकान किराये पर उठाने को लेकर फिर विवाद, हिंदू नेताओं की पुलिस से बहस
पिंक प्लाजा के दुकानदारों का कहना है कि ग्लाडा ने जो दुकान किराये पर उठाई है उसमें वर्षों से आम लोगों के लिए छबील लगती थी। वे इसका विरोध करते हैं।
जालंधर, जेएनएन। ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पिंक प्लाजा चौड़ा बाजार में खाली दुकान को किराए पर दे दिया है। इस दुकान में बाजार की तरफ से एक वाटर कूलर लगाया गया था, जिसे बाजार के दुकानदार व आम लोग इस्तेमाल में लाते थे। ग्लाडा की तरफ से इस दुकान को किराए पर दिए जाने के विरोध में पिंक प्लाजा मार्केट एसोसिएशन ने जमकर विरोध किया लेकिन ग्लाडा अफसरों ने दुकान किराए पर दे दी। इसके विरोध में मार्केट के दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दी।
लुधियानाः दुकानदारों के साथ हिंदू नेता भी विरोध करने मौके पर पहुंचे। दुकान किराये पर उठाने के मामले को लेकर उनकी पुलिस के साथ बहस भी हुई।
दुकानदारों ने ग्लाडा अफसरों को कहा कि अगर उनको इस दुकान से 3100 रुपये मिल रहे हैं तो वह 11 हजार किराया देने को तैयार हैं। यही नहीं दुकानदारों का कहना है कि दुकान खाली करने का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। जब तक फैसला नहीं आता तब तक वह दुकान पर कब्जा लेने क्यों आ रहे हैं। दुकानदारों और अफसरों के बीच विवाद चल ही रहा था कि किसी अफसर ने कह दिया कि जिसे डेढ़ साल पहले दुकान अलॉट की गई है, वह शहीद सुखदेव थापर का वंशज है। इसके बाद दुकानदारों ने थापर मैमोरियल ट्रस्ट के पदाधिकारियों को मौके पर बुला दिया। अशोक थापर, संदीप थापर व शिव सेना के चेयरमैन राजीव टंडन वहां पहुंचे गए। उन्होंने भी अफसरों की कार्रवाई का विरोध किया। जिसके बाद अफसर वापस लौट गए। अफसरों के जाने के बाद दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोली।
विशाल नैय्यर का कहना है कि जब उन्होंने ग्लाडा से दुकान किराए पर ली थी तो पांच लोगों ने टेंडर भरे थे। उसके बाद उन्हें दुकान अलॉट हुई। ग्लाडा उनसे दो माह का किराया भी वसूल चुका है। उन्होंने कहा कि वह शहीद सुखदेव के परिवार से हैं लेकिन यह दुकान उन्हें शहीद वाले कोटे से नहीं मिली है। मार्केट एसोसिएशन के प्रधान रूबल ढल्ल ने कहा कि मामला कोर्ट में है और अफसर उसके बाद भी कार्रवाई के लिए आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट जो भी फैसला देगा उसे सभी मानना होगा।
पहले भी हो चुका है विरोध
दुकानदारों का कहना है कि इस दुकान में कई साल से छबील चल रही है और इसका इस्तेमाल आम लोग करते हैं। इस दुकान को लेकर पहले भी विवाद हुआ था। तब भी दुकानदारों ने इसका विरोध किया था।
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