Punjab: आनलाइन पोर्टल पर अभी तक स्कूलों ने नहीं दिए सुझाव, जानें क्या रहा कारण
शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंधी सभी स्कूलों को एक पत्र भी जारी किया गया था कि निर्धारित समय तक अपने सुझाव पोर्टल पर भेज दे। जिले के स्कूलों की बात की जाए तो उन्होंने अपने सुझाव पोर्टल पर भेजे तक नहीं है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की बेहतरी के लिए बीते दिनों मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन कर आनलाइन पोर्टल लांच किया था, जिसमें सभी सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल्स को अपने-अपने स्कूलों के अध्यापकों के साथ विचार-विमर्श कर सुझाव मांगे थे। परफार्मा फार एजुकेशन फ्राम स्कूल हेड्स नाम से तैयार इस पोर्टल में सुझाव देने के लिए 20 मई अंतिम दिन रखा गया था।
शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंधी सभी स्कूलों को एक पत्र भी जारी किया गया था कि निर्धारित समय तक अपने सुझाव पोर्टल पर भेज दे। खैर अब सुझाव की डेट पार हो गई है लेकिन जिले के स्कूलों की बात की जाए तो उन्होंने अपने सुझाव पोर्टल पर भेजे तक नहीं है।
दैनिक जागरण ने शहर के विभिन्न सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल्स से इस संबंधी बात की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि सुझाव भेजना आप्शनल था, यह जरूरी नहीं था जिसके चलते उन्होंने सुझाव नहीं दिए। एक दूसरे स्कूल के प्रिंसिपल ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पोर्टल को सुझाव भेजने के लिए खोला जरूर था लेकिन वह खुला नहीं, उसके बाद अब तक ट्राई ही नहीं किया है।
हर एक सुझाव को खोले जाने का दिया था आश्वासन
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, शिक्षा मंत्री गुरमीत हेयर ने पोर्टल लांच के दौरान ही यह बात कही थी कि स्कूलों से जो सुझाव उनके पास आएंगे, वह हर एक सुझाव को खोलेंगे, जो भी कामन चीजें निकल कर आएंगी, उस पर अमल जरूर किया जाएगा। पर हर स्कूल को अपने अध्यापकों के शिक्षा की बेहतरी के लिए विचार-विमर्श कर सुझाव देने को कहा गया था।
सुझाव के लिए अध्यापक ही नहीं हो पा रहे इक्ट्ठे
सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल्स ने सुझाव न भरने का कारण बताते कहा कि स्कूलों में अध्यापक ही नहीं इक्ट्ठे हो पा रहे। 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं चल रही है और स्कूलों में सेंटर्स बने हुए हैं। स्कूलों के ज्यादातर स्टाफ की ड्यूटी परीक्षाओं में लगी हुई है। दूसरी तरफ स्कूलों में दाखिला मुहिम भी जारी है। जो स्टाफ स्कूलों में मौजूद रहते हैं, उन्हें मार्किंग स्कीम के लिए भेज जा रहा है। ऐसें में स्कूल का स्टाफ इकट्ठा हो ही नहीं पा रहा है। काम का बोझ इतना बढ़ गया है कि सुझाव पर विचार विमर्श करने के लिए भी समय नहीं मिल पा रहा है।