Move to Jagran APP

'नौ देवियों के स्वरुप की पूजा से पूरी होती हैं मनोकामनाएं'

कृष्ण गोपाल, लुधियाना : महानगर की घनी आबाद में संगला वाला शिवाला रोड़ पर स्थापित है, प्राच

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Sep 2017 10:17 PM (IST)Updated: Sat, 23 Sep 2017 10:17 PM (IST)
'नौ देवियों के स्वरुप की पूजा से पूरी होती हैं मनोकामनाएं'
'नौ देवियों के स्वरुप की पूजा से पूरी होती हैं मनोकामनाएं'

कृष्ण गोपाल, लुधियाना : महानगर की घनी आबाद में संगला वाला शिवाला रोड़ पर स्थापित है, प्राचीन मंदिर संगला वाला शिवाला, में बने नौ देवियों की प्रतिमाओं की सच्चे मन से अराधना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 500 वर्ष ई पहले बना शिवाला पहले वीरान स्थान हुआ करता है, जिसके प्रथम महंत अलख पुरी थे।

loksabha election banner

कैसे पड़ा संगला वाला शिवाला का नाम

मंदिर प्रांगण में लगभग 500 ई पूर्व स्वयं भू शिवलिंग प्रकट हुए और वहीं पर एक शिव मंदिर का निर्माण हुआ। खाली व वीरान जगह होने के कारण तत्कालीन महंत ने चारों और संगल से परिसर की घेराबंदी कर दी, उसी से इस मंदिर का नाम संगला वाला शिवाला पड़ गया।

शिवरात्रि से लेकर नवरात्र उत्सव की रहती धूम : शुरूआत समय में मंदिर संगला वाला शिवाला वैसे तो शिवरात्रि के लिए विख्यात था, लेकिन जैसे जैसे समय बदला, वैसे वैसे परिस्थितियां भी बदलीं, मंदिर प्रांगण में सभी उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाए जाने लगे, खासकर महाशिवरात्रि से लेकर नवरात्र उत्सव विशेष रुप से मनाएं जाते हैं, इसके अलावा सावन शिवरात्रि, राम नवमी, जन्माष्टमी, सावन माह में कावड़ यात्रा में दूर दराज से बड़ी तादाद में श्रद्धालुगण हाजिरी लगाते हैं। मंदिर में प्रत्येक माह विशेष कार्यक्रम करवाए जाते हैं। शिवरात्रि में निकलने वाली शोभायात्रा सहित श्रावण मास में हर सोमवार में लोगों के लिए बेलपत्री व गंगा जल की व्यवस्था की जाती है।

मां दुर्गा की मूर्तियां हैं, आकर्षण का केंद्र

महंत नारायण दास पुरी का कहना है कि मौजूदा समय में मंदिर परिसर में शिव दुर्गा, वैष्णो देवी, मां चिंतपूर्णी माता, काली माता, संतोषी माता, मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की अद्भुत मूर्तियां सहित दत्तात्रेय, गंगा मैया, राम दरबार, हनुमान, बाबा बालक नाथ, लक्ष्मी नारायण, लक्ष्मी माता मंदिर, गणेश जी की मूर्तियां विस्थापित हैं।

शिवाला में गुरु शिष्या परपंरा चलती आ रही है।

शिवाला के पहले महंत अलख पुरी थे, उनके बाद महंत हरनाथ पुरी, महंत शिव पुरी, महंत कृपाल पुरी, महंत बसंत पुरी थे, अब 35 वर्षो से महंत नारायण पुरी अपनी सेवा निभा रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.