साहित्य सभा की मांग, सड़कों पर लगे मील पत्थर पंजाबी में हों
साहित्य सभा जगराओं की मासिक मीटिंग रविवार को अवतार जगराओं व प्रभजोत मोही की अगुवाई में स्वाइवे आइलेट्स इंस्टीट्यूट में हुई। सबसे पहले जगदीश नीलो, गुरचरण रामपुरी, आरिफ गोबिंदपुरी ने डा. सरबजीत की माता की अमृतसर रेल हादसे में हुई मौत पर शोक व्यक्त किया।
जासं, जगराओं : साहित्य सभा जगराओं की मासिक मीटिंग रविवार को अवतार जगराओं व प्रभजोत मोही की अगुवाई में स्वाइवे आइलेट्स इंस्टीट्यूट में हुई। सबसे पहले जगदीश नीलो, गुरचरण रामपुरी, आरिफ गोबिंदपुरी ने डा. सरबजीत की माता की अमृतसर रेल हादसे में हुई मौत पर शोक व्यक्त किया। वहीं सभा के सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर बिछड़ी आत्माओं को श्रद्धाजलि भेंट की। सभा ने अध्यापकों के संघर्ष का समर्थन करते हुए सरकार के रवैये की निंदा की गई।
सभा ने सरकार से माग की कि अध्यापकों के साथ धक्केशाही न करते हुए उनकी मागें सुनीं जाएं। उन्होंने लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिंट्टू से माग की है कि पंजाब में सड़कों पर लगे मील पत्थरों पर पंजाबी में लिखा जाए। साहित्य सभा जगराओं ने अपनी गतिविधियों को जारी रखते हुए 25 नवंबर दिन रविवार को उस्ताद मजूलगो, गुरदयाल रोशन को रूबरू करवाने का फैसला किया है। रचनाओं के दौर में प्रो. कर्म सिंह संधू ने पाकिस्तानी लेखक इरशाद संधू की गजल कीतो कोल निभानी जिंदे इशक उलाभे ला नहीं जिंदे, गुरजीत सहोतरा ने बीज के आखों में सुपने लागले, तुर पड़े लंबे सफर पर काफिले। सुनाकर खूब तालिया बटोरी।
राज जगराओं ने गीत बेदर्दे वेख जरा साडी रूह का मंदा हाल, हरप्रीत सिंह अखाड़ा ने कविता भगत सिंह, हरचंद गिल ने कविता चंद्रमा उदास क्यों है, सुनाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। विशेष तौर पर पहुंचे जसमीत बुल्ला ने मिट्टी का बावा व कुलविंदर की गजल हमारी आखों के सामने सुखमयी पर्दा पेश की। प्रभजोत सोही ने नजम कविता के टुकड़े, गुरदीप तूर ने गजल मैं अकेले सुपनों को लारिया को क्या करूं जो वफा न हो व वह वादों को क्या करूं. सुनाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इस मौके पर अर्शदीप पाल सिंह, हर्ष, बहादुर सिंह ग्रेवाल, ईश्वर सिंह मोही सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।