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Cyber Crime In Ludhiana: पेटीएम पर KYC अपडेट करने के चक्कर में खाते से उड़े 8500 रुपये

Cyber Crime In Ludhiana चेत सिंह नगर निवासी केवल सिंह पनेसर को पेटीएम की केवाईसी अपडेट करते समय हजाराें रुपये का चूना लग गया। केवल सिंह ने जैसे ही केवाईसी अपडेट करने लगा उसके खाते से 8500 रुपये निकल गए।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 02:07 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 02:07 PM (IST)
Cyber Crime In Ludhiana: पेटीएम पर KYC अपडेट करने के चक्कर में खाते से उड़े 8500 रुपये
पेटीएम की केवाईसी अपडेट करते समय हजाराें रुपये का चूना लगा। (सांकेतिक तस्वीर)

लुधियाना, जेएनएन। Cyber Crime In Ludhiana : चेत सिंह नगर निवासी केवल सिंह पनेसर को पेटीएम की केवाईसी अपडेट करते समय हजाराें रुपये का चूना लग गया। केवल सिंह ने जैसे ही केवाईसी अपडेट करने लगा उसके खाते से 8500 रुपये निकल गए। उसने इस संबंध में थाना डिवीजन नंबर छह में शिकायत की। पुलिस ने शिकायत पर विस्तृत जांच के बाद मामला दर्ज किया है। अब पुलिस आरोपितों की तलाश कर रही है। आरोपितों की पहचान दिल्ली निवासी भुवनेश्वर एवं योगेश कुमार के तौर पर हुई है।

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केवल ने कहा कि उसने संदेश के आधार पर ही केवाईसी को अपडेट करने के लिए प्रोसेस शुरू किया कि उसकी पेटीएम में पड़ी रकम चली गई। इसके साथ ही अब इंटरनेट मीडिया ने साइबर क्राइम करने वालों का दायरा अब काफी बड़ा कर दिया है। कारण अब जरा भी विवाद या कहासुनी होने पर लोग इंटरनेट मीडिया पर अश्लील पेज बनाकर उन्हें बदनाम कर रहे हैं। पुलिस के लिए ऐसे मामलाें काे सुलझाना किसी चुनाैती से कम नहीं है।

एक माह में ऐसी औसतन 20 से 30 शिकायतें आती हैंः एसीपी

एक माह में ऐसी औसतन 20 से 30 शिकायतें आती हैं। इनमें हम संबंधित साइट्स को पेज बंद करने के लिए रिक्वेस्ट भेजते हैं। साथ ही उस पेज को बनाने वाले की डिटेल भी मांगी जाती है। इस प्रोसेस को 10 से 15 दिन का समय लग जाता है। मगर जब किसी माइनर लड़की या बच्चों के साथ ऐसा मामला सामने आता है तो ऐसे सीरियस केस में 24 घंटे के अंदर उसे बंद करके डिटेल मंगाई जाती है। - वैभव सहगल, एसीपी, साइबर सेल

पेज बंद होने के बाद संतुष्ट हो जाता है शिकायतकर्ता

ज्यादातर मामलों में पेज बंद हो जाने के बाद शिकायतकर्ता संतुष्ट हो जाता है और कार्रवाई करवाने से पीछे हट जाता है। ऐसे में पुलिस उस मामले में कुछ नहीं कर पाती। हालांकि इसके बावजूद हर माह ऐसे दो-तीन केस दर्ज किए जाते हैं।


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