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फर्जी आइडी व खाता नंबर बनाकर गारमेंटस फर्म से धोखाधड़ी

-विदेशों को हौजरी और गारमेंट्स सप्लाई करती है नागेश निट एवं वियर फर्म -आंध्रप्रदेश म

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 10:32 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 10:32 PM (IST)
फर्जी आइडी व खाता नंबर बनाकर गारमेंटस फर्म से धोखाधड़ी
फर्जी आइडी व खाता नंबर बनाकर गारमेंटस फर्म से धोखाधड़ी

-विदेशों को हौजरी और गारमेंट्स सप्लाई करती है नागेश निट एवं वियर फर्म

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-आंध्रप्रदेश में फर्जी ढंग से खुले अकाउंट में ट्रांसफर करवाए गए पैसे

जागरण संवाददाता, लुधियाना।

शहर की एक फर्म के लाखों रुपये धोखे से किसी ने अपने खाते में डलवा लिए। पुलिस ने पीड़ित फर्म मालिक की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

शहर में नागेश निट एवं वियर नाम से फर्म चलाने वाली पूनम मेहरा ने पुलिस को बताया कि वह विदेशों को हौजरी और गारमेंट्स सप्लाई करते हैं। उनकी ओर से डेनमार्क की एक फर्म को गारमेंट्स सप्लाई किए गए थे। इसकी एवज में कंपनी की ओर से उनके खाते में 53 हजार 687 डालर अलग-अलग तारीख पर जमा करवाए थे। जब जांच की तो पता चला कि यह डालर उनके खाते में नहीं आए हैं। बाद में पता चला कि उक्त कंपनी को उन्हीं के नाम से ईमेल आइडी बनाकर किसी ने उनकी कंपनी के नाम का ही अकाउंट बनाकर आइसीआइसीआई बैंक का खाता नंबर सेंड कर दिया था जिसमें कंपनी ने रकम डाल दी। यह रकम बैंक में सीधे ट्रांसफर की गई है। यह खाता आंध्रप्रदेश में फर्जी ढंग से खुलवाकर दिया गया था। पुलिस ने अज्ञात लोगों पर धोखाधड़ी और आइटी एक्ट के तहत थाना सलेमटाबरी में आपराधिक मामला दर्ज किया है।

मामले के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर विजय कुमार के अनुसार अभी मामले की जांच की जा रही है। हमारे पास कुछ सबूत हैं, जिनके आधार पर उक्त आरोपितों की तलाश की जाएगी।

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मिलती-जुलती आइडी बनाई ताकि शक न हो

आरोपितों की ओर से बाकायदा नागेश निट एवं वियर फर्म की आइडी से मिलती जुलती मेल आइडी बनाई गई थी। उसका टाइटल भी वही रखा गया तो असल कंपनी का था ताकि डीलिंग करने वाली कंपनी को किसी भी तरह का शक न हो। ठीक वैसा ही हुआ, मेल आइडी पर आए अकाउंट में कंपनी ने रकम जमा करवा दी।

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कंपनी के किसी जानकार का हाथ होने का शक

जिस ढंग से धोखाधड़ी की गई है, उससे यही शक पैदा हो रहा है कि स्थानीय कंपनी से संबंधित ही किसी व्यक्ति की ओर से यह धोखाधड़ी की गई है। उसे कंपनी के संबंध में कुछ जानकारियां थीं। कंपनी से मिलती जुलती ईमेल आईडी बनाई गई, उसे पता था कि कंपनी का खाता किसे और कैसे देना था। पुलिस भी इसी थ्यूरी पर ही काम कर रही है।


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