सुखमणि साहिब के पाठ कर श्री गुरु अर्जुन देव को याद किया
सिखों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर यह पहला मौका होगा कि सड़कों पर जगह-जगह छबीलें नहीं लगी।
जासं, लुधियाना : सिखों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर यह पहला मौका होगा कि सड़कों पर जगह-जगह छबीलें नहीं लगी। न ही स्पीकरों पर कीर्तन सुनने को मिले। इसी तरह गुरुघरों में संगत काफी कम संख्या में पहुंची। इससे प्रतीत हो रहा था कि लोगों में जागरूकता बढ़ गई है। कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ज्यादातर लोगों ने घरों में सुखमणि साहिब का पाठ किया। गुरुद्वारा श्री गुरु कलगीधर सिंह सभा में छबील लगाई गई, लेकिन फिजिकल डिस्टेंस के साथ ठंडे शरबत के पानी का वितरण किया। जिन गुरुद्वारा साहिबों में सुखमणि साहिब के पाठ हुए वहां संख्या ना के बराबर रही। इस दौरान गुरबाणी कीर्तन और प्रवचन भी हुआ। वहीं, समराला चौक स्थित नानकसर गुरुद्वारा में बाबा जसवंत सिंह की अगुवाई में शहीदी दिवस पर दीवान सजाए। इस मौके पर रागी जत्थों ने संगत को कीर्तन द्वारा निहाल किया। बाबा जसवंत सिंह ने गुरु अर्जुन देव की शहादत को अतुलनीय बताते हुए कहा कि वह मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, गंभीर स्वभाव के स्वामी, अपने युग के सर्वमान्य लोकनायक थे। उनके मन में सभी धर्मो के प्रति अथाह सम्मान था। गुरु अर्जुन देव ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का संपादन भाई गुरदास की सहायता से किया और रागों के आधार पर ग्रंथ साहिब में संकलित वाणियों का जो वर्गीकरण किया है उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रंथों में दुर्लभ है। विश्व को सरबत दा भला का संदेश देने तथा शांति लाने की पहल करने वाले गुरु को यातनाएं देकर शहीद कर देना मुगल साम्राज्य के पतन का भी कारण बना।