जीवन में सदा प्रभु व मौत को याद रखें: आशीष मुनि
एसएस जैन सभा सिविल लाइंस के तत्वाधान में श्रमण संघीय मंत्री श्री आशीष मुनि म. तत्व चितक श्री उत्तम मुनि म. व जिनशासन ज्योति साध्वी श्री गीता म. ठाणा-4 के पावन सानिध्य वीरवार को दया दिवस के रुप में मनाया गया।
संस, लुधियाना :
एसएस जैन सभा सिविल लाइंस के तत्वाधान में श्रमण संघीय मंत्री श्री आशीष मुनि म., तत्व चितक श्री उत्तम मुनि म. व जिनशासन ज्योति साध्वी श्री गीता म. ठाणा-4 के पावन सानिध्य वीरवार को दया दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वीरवार की प्रवचन सभा में श्रमण संघीय मंत्री आशीष मुनि म. ने कहा कि संसार स्वयं में न अच्छा है न बुरा। वास्तव में अच्छे और बुरे तो हम ही हैं। इंसान जैसा चश्मा पहन लेता है, उसे पैसा ही दृश्य दिखने लगता है। व्यक्ति की जैसी ²ष्टि होगी, उसे सृष्टि भी वैसी ही लगेगी। ²ष्टि बदले, विचार और मन बदले, संसार तो वैसे ही बदल जाएगा। पेड़ का अस्तित्व उसके जड़ों में है तो भव बदलने में देर नहीं लगेगी। अपना घर सभी को अच्छा लगता है। आत्मा का घर है सिद्ध, बुद्ध और मुक्त हो जाना। उस अपने शाश्वत घर तक पहुंचने के लिए सम्यक ज्ञान और क्रिया की जरुरत है। जिन शासन ज्योति श्री गीता म. की सुशिष्या ओजस्वी वक्ता साध्वी श्री वृद्धि म. ने कहा कि मानव जीवन और मानव तन अनित्य और क्षण भंगुर है। ज्ञानी जनों ने मानव शरीर को कांच की शीशी या कच्चे मिट्टी घडे़ की उपमा से उममित किया है। जिसे कितना भी संभालो, कभी भी टूट और फूट सकता है, जो आत्मा जीवन की अनितप्ता के बारे में चितन करते हैं, वे कभी पाप करते हुए डरतें है। अत: जीवन में सदा प्रभु व मौत को याद करें। इस दौरान साध्वी वार्णिका म. ने सुंदर भजनों से सभा बांधा। इस अवसर पर महाराष्ट्र से 48 सदस्यों श्रद्धालुओं का जत्था महाराज श्री के दर्शन कर धन्य हुआ व प्रवचन का लाभ लिया।