गणेश सिर्फ भगवान का नाम नहीं, एक विज्ञान है: कुमार स्वामी
मॉडल टाउन एक्सटेंशन स्थित भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम मंदिर में साप्ताहिक सत्संग करवाया गया।
जेएनएन, लुधियाना: मॉडल टाउन एक्सटेंशन स्थित भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम मंदिर में साप्ताहिक सत्संग के दौरान महामंडलेश्वर ब्रह्मार्षि कुमार स्वामी द्वारा भेजे गए संदेश को पढ़ कर सुनाया गया।
उन्होंने संदेश में कहा कि हमारे शरीर में पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कर्म इंद्रियां है और चार अंत करण है। इसी प्रकार इन्हें चौदह देवता है तथा इनके प्रेरक अथवा अधिपति भगवान गणेश है। इन्हें बुद्धि के अधिदेवता, विघ्न विनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश केवल एक देवता का नाम ही नहीं है वरन यह एक विज्ञान है जिसे गणेश विज्ञान कहा जाता है। इस प्रथम पूज्य देव की मान्यता आदिकाल से है। स्यार्त उपासना के देवों विष्णु, सूर्य, शक्ति, शिव के साथ-साथ गणेश को भी मान्यता दी गई। यजुर्वेद में कई मंत्रों द्वारा गणपति का अर्थ ग्रहण किया गया है। हिदू धर्म के अलावा जैन व बौद्ध धर्म में भी गणेश की मान्यता स्वीकार की गई है। नेपाल, तिब्बत, कंबोडिया, चीन, जापान, मंगोल आदि देशों में भी भगवान गणेश की प्रतिमाएं मिली है। इससे इनकी व्यापक उपासना के होने का आशय सिद्ध होता है। इसी उपासना को गणेश विज्ञान कहा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि ऊं और शुभ स्वास्तिक चिन्ह व्यापारी बही-खातों पर बनाते है, उसकी चार भुजाएं गणेश जी के चार हाथों की प्रतीक है और यही चतुर्मुख ओंकार है। इस प्रकार गणेश जी को ऊं स्वरुप माना जाता है। गणेश जी के स्वरुप का योगी मूलाधार चक्र में ध्यान करते है। इनसे समस्त विघ्नों का नाश होता है। पातंजल दर्शन के 29वें सूत्र के अनुसार ओंकार के जप से शुद्ध ब्रह्म का साक्षात्कार होता है और विघ्न नष्ट होते है अत: इनका प्रसिद्ध नाम विघ्न विनाशक है। इनका पुराणों में भी कई प्रकार से वर्णन है।