Move to Jagran APP

विजय इन्द्रदिन्न सूरि ने पाच लाख परिवारों को बनाया था शाकाहारी: आचार्य नित्यानंद

विजय इन्द्रदिन्न सूरि ने अपने जीवनकाल में गुजरात में लगभग पाच लाख परिवारों को शाकाहारी बनाया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Dec 2018 05:00 AM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 05:00 AM (IST)
विजय इन्द्रदिन्न सूरि ने पाच लाख परिवारों को बनाया था शाकाहारी: आचार्य नित्यानंद
विजय इन्द्रदिन्न सूरि ने पाच लाख परिवारों को बनाया था शाकाहारी: आचार्य नित्यानंद

संस, लुधियाना : जैनाचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरि म. जैन शासन के ही अपितु, जन-जन के महान उपकारी संत हुए हैं। परमार क्षत्रिय कुल में जन्म लेकर गुरु वल्लभ सूरि समुदाय में जैन दीक्षा अंगीकार की। 12 वषरें तक उन्होंने गुजरात के पिछड़े और आदिवासी बहुतायत वाले क्षेत्रों में लगातार विचरण किया और लाखों परिवारों को व्यसन मुक्त बनाया। श्री मनोवाछित पा‌र्श्वनाथ जैन मंदिर नूरवाला में गुरु इन्द्रदिन्न सूरि के पट्टधारी आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरि म. की निश्रा में आयोजित गुणानुवाद सभा मे मुनि श्री मोक्षानंद विजय म. ने उपरोक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जुआ, मास, शराब जैसी बुराइयों के कारण देश में अधिकतर लोग जीवन बर्बाद कर लेते हैं। गुरु इन्द्र ने अपने तप, त्याग और प्रवचनबल से वड़ोदरा, बोडेली, पंचमहाल, पावागढ़ आदि क्षेत्रों में पैदल विचरण करके पाच लाख परिवारों को पूर्ण शाकाहारी बनाया। गाव-गाव में आध्यात्मिक विकास के लिए जैन मंदिरों की तथा शिक्षित ओर संस्कारित करने के लिए पाठशालाओं, गुरुकुलों और विद्यालयों की स्थापनाएं करवाई। अंबाला की धरती पर उन्होंने अंतिम सास लिया। महानगर में अभय ओसवाल ने विजय इन्द्र नगर उन्हीं की प्रेरणा से करवाया था। आचार्य नित्यानंद ने कहा कि स्वर्ग का इन्द्र तो चार महीने बरसता है, परंतु गुरु इन्द्र की कृपा तो बारह महीने ही बरसती है। गुरु इन्द्र में गुरु आत्म जैसी अदम्य साहसवृत्ति, वल्लभ जैसी सर्वोदयी क्रातिकारी सोच, समुद्र जैसी शाति और शालीनता के दर्शन होते थे। गुरु इन्द्र ने ही मुझे पंजाब सम्भालने का दायित्व सौंपा था। जीवन की अंतिम सास तक पंजाब की सेवा का व्रत निभाउंगा। मनोवांछित पाश्‌र्र्वनाथ मंदिर में गच्छाधिपति मंडली ने किया प्रवेश

loksabha election banner

गच्छाधिपति अपनीमुनि मंडल श्री मनोवाछित पा‌र्श्वनाथ जैन मंदिर नूरवाला रोड़ में पधारे। सर्वप्रथम पद्मावती दरबार मे गुणानुवाद सभा का शुभारंभ गुरुवंदन और मंगलाचरण से हुआ। गुरु इन्द्र के चित्र के समक्ष माल्यार्पण कर दीप प्रकट किया गया। इस दौरान धनराज जैन पपनाखा वाले, अनिल जैन सेलो आदि ने गुरु भक्ति के भजन प्रस्तुत किए एवं संघपूजा और प्रभावना भी की गई। इस अवसर पर जितेंद्र जैन रेशम, नरभूषण जैन, संजीव जैन सीए आदि ने गुरु भगवंतों के उपकार को याद किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.