एमएसएमई की इकाइयों को लोन बढ़ाने के लिए आरबीआइ की कसरत
एमएसएमई सेक्टर की इकाइयों को ऋण सुविधा बढ़ाने के मकसद से भारतीय रिजर्व बैंक गंभीर हो गया है।
जासं, लुधियाना : माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) सेक्टर की इकाइयों को ऋण सुविधा बढ़ाने के मकसद से भारतीय रिजर्व बैंक गंभीर हो गया है। इसको लेकर आरबीआइ की ओर से पार्क प्लाजा में दो दिवसीय वर्कशॉप आयोजित की गई। इसमें सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों के अधिकारियों को एमएसएमई सेक्टर के लिए फंडिग बढ़ाने के टिप्स दिए गए।
वर्कशॉप में आरबीआइ की ओर से शुरू किए गए नेशनल मिशन फॉर कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ बैंकर्स-नेमकैब्स मुहिम के तहत बैंकर्स को अपडेट किया गया। इसके तहत इस क्षेत्र को कर्ज देने के लिए कौशल विकसित करने एवं बैंकों की एमएसएमई शाखाओं के फील्ड कर्मियों की कार्यकुशलता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें एमएसएमई-डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट एवं जिला उद्योग केंद्र के अधिकारी भी मौजूद रहे। उन्होंने एमएसएमई सेक्टर के लिए सरकार की विभिन्न स्कीमों के बारे में अपडेट किया।
वर्कशॉप में आरबीआइ के क्षेत्रीय निदेशक जेके पांडे मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि इस तरह की वर्कशॉप उत्तर भारत के प्रमुख शहरों में करवाई जा रही हैं। अब तक पंजाब हरियाणा एवं चंडीगढ़ के 45 जिलों के 1303 बैंक कर्मचारियों को यह ट्रेनिग दी जा चुकी है। लुधियाना में 16 बैंकों के साठ कर्मचारी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। इस अवसर पर आरबीआइ के जनरल मैनेजर अनिल कुमार यादव, एसबीआइ के महाप्रबंधक राजीव अरोड़ा, पीएनबी से कन्वीनर विश्वजीत सत्पती, कैपिटल स्मॉल फाइनांस बैंक के एमडी सर्वजीत सिंह सामरा, पीएसबी से डीजीएम रश्मिता क्वात्रा, पंजाब ग्रामीण बैंक के चेयरमैन एसके दुबे, लीड बैंक मैनेजर अनिल कुमार समेत कई लोग उपस्थित रहे। आर्थिक मंदी से निकलने वाले जर्मनी की दी उदाहरण
जेके पांडे ने कहा कि अब जरूरत है कि बैंक एमएसएमई क्षेत्र को वित्तीय सहुलियतें देने में दिलचस्पी दिखाएं। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि वर्ष 2008-09 की आर्थिक मंदी में जर्मनी जैसे देश ने छोटे उद्योगों को वित्तीय सुविधाएं देकर उनको मजबूत किया और मंदी से बाहर निकले।