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अमृतसर में बोले राकेश टिकैत- 29 का कार्यक्रम स्थगित, MSP की गारंटी के कानून के बिना आंदोलन वापस नहीं

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों ने 29 नवंबर का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। अगली रणनीति 4 दिसंबर को घोषित की जाएगी। टिकैत ने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून के बिना आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 04:52 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 09:25 AM (IST)
अमृतसर में बोले राकेश टिकैत- 29 का कार्यक्रम स्थगित, MSP की गारंटी के कानून के बिना आंदोलन वापस नहीं
अमृतसर में पत्रकारों से बातचीत करते राकेश टिकैत। जागरण

जागरण संवाददाता, अमृतसर। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक केंद्र की मोदी सरकार तीन कृषि कानून रद करने के साथ साथ फसलों की एमएसपी की गारंटी वाला कानून लागू नहीं करती तब तक दिल्ली सरकार के खिलाफ चल रहा संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन वापस नहीं होगा। मोर्चा की मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान मृत्यु को प्राप्त हुए किसानों की यादगार बनाने के लिए केंद्र सरकार जगह उपलब्ध करवाए।

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टिकैत ने कहा कि मोर्चा की ओर से 29 नवंबर को आयोजित किया जाने वाला एक्शन वापस ले लिया गया है। बाकी आंदोलन पहले की तरह ही जारी रहेगा। टिकैत केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानून वापस लिए जाने के किए एलान को मुख्य रख श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने पहुंचे थे। वह किसानों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा को विजय दिलवाने में दिए गए योगदान के लिए वर्करों का धन्यवाद करने पंजाब दौरे पर आए हैं।

स्थानीय रामतीर्थ रोड लाभ नगर में किसानों के साथ बैठक से पहले मीडिया से बातचीत में टिकैत ने कहा चार दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की एक महत्वपूर्ण बैठक दिल्ली बार्डर पर आयोजित की जा रही है। जिसमें मोर्चा की ओर से भविष्य के आंदोलन की रणनीति का एलान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में एक गैंग काम कर रही है, जो किसानों की भूमि को अपने कंट्रोल में लेकर देश में पैदा होने वाले अनाज पर कब्जा करना चाहता है। जिसमें अलग अलग राजनीतिक पार्टियों के नेता और कारपोरेट घरानों के लोग शामिल हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी एमएसपी की गारंटी कानून बनाने वाले कमेटी में शामिल थे। वह इस कानून को लागू करने की मांग करते रहे, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, लेकिन आज वह इस कानून को लागू करने से भाग रहे हैं।

टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून वापस लेने का एलान कर दिया है, परंतु एमएसपी की गारंटी, लखीमपुर की घटना, प्रदूषण एक्ट से किसानों को बाहर रखने, किसानों पर दर्ज मामलों को लेकर कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। मृत्यु को प्राप्त 700 किसानों को मुआवजा देने व मोर्चा के साथ बैठकर बात करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके बाद डेयरी मामला, बीज एक्ट,पैस्टीसाइट मामले आदि पर एक कमेटी भी गठित की जाएगी जो केंद्र सरकार के साथ बातचीत करेगी। जब तक सभी मामलों का हल नही निकलता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

टिकैत ने कहा कि संगठन अपने-अपने कार्यकर्ताओं को लेकर दिल्ली बार्डर पर चल रहे आंदोलन में हिस्सा लेते रहे हैं। सरकार किसानों को लाभ नहीं देना चाहती, इसलिए एमएसपी गारंटी कानून से भाग रही है। सरकार के सहयोग से कुछ शक्तियां किसानों का अनाज लूटना चाहती है। सरकार पुरानी नीतियां लाकर किसानों के अनाज पर व्यापारियों की ओर से लूटने की साजिश लागू कर रही है।

टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा कोई भी राजनीतिक पार्टी का गठन करके किसी तरह के चुनावों में हिस्सा नहीं लेगा। किसान संयुक्त मोर्चा एकजुट है और किसानों के साथ-साथ आम जनता के मुद्दों को लेकर आंदोलन जारी रखेगा। सरकार किसानों को बदनाम करके संघर्ष को कमजोर करना चाहती है, परंतु आंदोलन कमजोर नही होने दिया जाएगा। अगर कोई संगठन चुनाव लड़ना चाहता है तो उससे संयुक्त किसान मोर्चा कोई फर्क नहीं पड़ता। किसानों की चुनावों को लेकर क्या रणनीति रहती है और किस पार्टी के खिलाफ किसानों ने नीति बनानी है इस का एलान तब किया जाएगा जब चुनाव आयोग चुनावों का एलान करेगा।

टिकैत ने कहा कि सरकार का प्लान है कि किसी न किसी तरह किसानों की भूमि किसानों से लेकर बड़े घरानों को दी जाए, या फिर किसान खुद ही मजबूर होकर अपनी जमीनें बेचने के लिए मजबूर हो जाएं। अभी तक सरकार कंटीली तार के पार भूमि के मालिक किसानों को मुआवजा देने के लिए भी गंभीरता नहीं दिखा रही है। एक सवाल के जवाब ने टिकैत ने कहा कि अगर किसान आंदोलन में आतंकी लोग घुसपैठ कर चुके हैं तो सरकार उनको पकड़े।

राकेश टिकैत ने कहा कि पंजाब के किसानों की मांग है वादे के अनुसार पंजाब के किसानों के कर्जे की पूर्ण माफी की जाए और किसानों को मार्केट रेट पर हाईवे के लिए अधिगृहण की जाने वाली भूमि का मुआवजा दिया जाए। इस दौरान किसान नेता हरिंदर सिंह लक्खोवाल और अदर्शपिंदर सिंह मान आदि भी मौजूद थे।


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