मां की बीमारी से बीच में छूटी पढ़ाई, अब मछली पालन से सालाना 45 लाख कमा रहे बठिंडा के राजवीर
बठिंडा के राजवीर सिंह मां की बीमारी के कारण मैट्रिक से आगे पढ़ाई नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने घर पर मत्स्य पालन की सोची। उनकी यह सोच धीऱे-धीरे वृहद रूप लेती गई। आज वह इससे 45 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं।
बठिंडा [साहिल गर्ग]। जिले के गांव मेहराज के राजवीर सिंह खेती के साथ-साथ सहायक धंधों को अपनाकर अपनी आमदन में बढ़ोतरी कर रहे हैंं। राजवीर सिंह ने 40 साल की उम्र में ही अपने सपनों को साकार करने के लिए फार्म हाउस बनाया। राजवीर सिंह मछली पालन का काम करते हैं। उनका मछली पालन का काम आसपास के जिलों में भी फैला हुआ है। वह सभी तरह के खर्च निकालकर 45 लाख रुपये सालाना की कमाई कर रहे हैंं।
गांव मेहराज में 4 एकड़ में राजवीर सिंह के फार्म हाउस में चारों ओर 2 हजार से ज्यादा अलग-अलग प्रकार के पेड़-पौधों की हरियाली है। यही नहीं, प्रकृति में सौंदर्य भरने के लिए दुर्लभ प्रजाति के लुप्त हो रहे सैकड़ों चिड़िया, घुग्गी व मोर भी उनके फार्म हाउस में हैं। फार्म हाउस में घोड़े व कुत्ते भी देखने काे मिल जाते हैं। वह अपने खेत में ही आर्गेनिक सब्जी व अनाज पैदा करते हैंं। लगभग सभी फलों के पेड़ भी उनके फार्म हाउस में हैं।
राजवीर बताते हैं कि मां के बीमार रहने की वजह से उनकी पढ़ाई छूट गई थी। वह मैट्रिक से आगे नहीं पढ़ पाए। महज 18 साल की उम्र में ही मछली पालन शुरू किया। मत्स्य पालन का प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने घर की 10 एकड़ बंजर जमीन को साफ किया। इसकी अच्छे तरीके से साफ-सफाई करके 4 एकड़ में फिश फार्म हाउस बनाया। शुरुआत में 30-35 लेबर के साथ मछली पालन करने के अलावा मंडीकरण तक का कारोबार किया। अगले साल से पंचायती छप्पड़ वाली नहरी पानी वाले जमीनें ठेके पर लेकर मछली पालन किया।
अपने फार्म हाउस पर राजवीर सिंह। जागरण
राजवीर सिंह के लगभग 30 गांवों की पंचायती जमीन में मछली पालन के विशाल पौंड हैं। इसके अलावा राजस्थान के सूरतगढ़ में भी वह 10 साल से 150 एकड़ जमीन लीज पर लेकर मछली पालन कर रहे हैं। लगभग 200 एकड़ पंचायती जमीन में बनाए पौंड में वह मछली पालन करते हैं। एक एकड़ में लगभग 15 क्विंटल तक मछली पैदा होती है, जिसके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं।
राजवीर सिंह का कहना है कि मछली की पंजाब में खपत ज्यादा नहीं होती है, लेकिन फिर भी मंडीकरण की कोई समस्या नहीं है। अब पटियाला, चंडीगढ़, श्रीनगर, दिल्ली तक के व्यापारियों को माल सप्लाई होता है। व्यापारी भी उनके फार्म हाउस से मछली लेने आते हैंं। वह कहते हैं कि मछली पालन व्यवसाय पानी पर निर्भर है, ज्यादा समस्या नहरी पानी की है। नहरी पानी कम मिलता है, जबकि ट्यूबवैल भी कनेक्शन भी कमर्शियल रेट पर लगता है, जिसका हर महीने का बिल भी 25 से 30 हजार रुपये आता है। ऐसे में मछली पालन कारोबार के शुरुआती दिनों में कमाई मुश्किल हो जाती है। वहीं ज्यादा बरसात में भी 1 पौंड में 5 से 6 लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है।
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