पीवीवीआइ ने बनाई सेल कल्चर क्लासिकल स्वाइन फीवर वैक्सीन
पंजाब वेटरनरी वैक्सीन इंस्टीट्यूट (पीवीवीआइ) ने अब एक ऐसी वैक्सीन तैयार की है, जो सूअरों को स्वाइन फीवर से बचाकर रखेगी।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : देशभर में स्वाइन फीवर की चपेट में आने के बाद भारी संख्या में सूअरों की मौत हो जाती है जिससे सूअर पालकों को बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान होता था लेकिन, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में स्थित पंजाब वेटरनरी वैक्सीन इंस्टीट्यूट (पीवीवीआइ) ने अब एक ऐसी वैक्सीन तैयार की है, जो सूअरों को स्वाइन फीवर से बचाकर रखेगी।
उत्तर भारत में पहली बार सेल लाइन से इस तरह की सेल कल्चर क्लासिकल फीवर वैक्सीन तैयार की गई है। सेल लाइन के लिए सूअर की किडनी से सेल लिए जाते हैं। फिर इन सेल्स को फ्लास्क में ग्रो करके यह वैक्सीन तैयार की गई है। इस प्रक्रिया से वैक्सीन तैयार करने के लिए किसी जानवर को मारने की जरूरत नहीं पड़ती। जिससे क्वालिटी भी बढि़या होती है और मात्रा भी ज्यादा होती है। इस वैक्सीन से पंजाब के साथ-साथ उन तमाम राज्यों को फायदा होगा, जहां सूअर पालन हो रहा है।
मंगलवार को पशु पालन, डेयरी विकास मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने इस वैक्सीन को लांच किया। जिसके बाद अब इस वैक्सीन को पूरे पंजाब में सूअर पालकों को वितरित किया जाएगा। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह सम्मान वाली बात है कि पंजाब सरकार के इस संस्थान के मेहनती वैज्ञानिकों ने दिन रात एक करके स्वाइन फीवर की रोकथाम को लेकर वैक्सीन को तैयार किया है। यह दवा पशुपालन क्षेत्र में विश्व भर में ईजाद की जा रही दवाओं में से एक है, जोकि बड़े गर्व वाली बात है। यही नहीं पंजाब सरकार की बहुत बड़ी प्राप्ति है कि कर्नाटक के बाद पंजाब देश का दूसरा ऐसा राज्य बन गया है, जहां यह दवा तैयार होने लगी है। उन्होंने कहा कि संस्थान की तरफ से यह वैक्सीन बनाने के लिए नई सेल कल्चर विधि के लिए बरेली स्थित इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मैटीरियल ट्रासफर समझौता किया गया है। संस्थान के दो डॉक्टरों को इस नई विधि संबंधी आईवीआरआई (आईवीआरआई) में प्रशिक्षण भी दिलाया गया है। दूसरे राज्यों से आने वाली वैक्सीन की डिमांड
पशु पालन विभाग के डायरेक्टर डॉ. अमरजीत सिंह व डिप्टी डायरेक्टर प्रितपाल सिंह ने बताया कि वैक्सीन के लांच होने की जानकारी मिलने के बाद अब उन्हें दूसरे राज्यों से डिमांड आने लगी है। डिमांड आने की वजह वैक्सीन की क्वालिटी का बेहतर होना है। कुछ कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद हम दूसरे राज्यों को सप्लाई करेंगे। इससे गवर्नमेंट रेवेन्यू बढ़ेगा।
पंजाब में बढ़ रहा सूअर पालन का रूझान
डिप्टी डायरेक्टर व पीवीवीआई के इंचार्ज डॉ.प्रितपाल सिंह ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में पंजाब में सूअर पालन तेजी से बढ़ रहा है। इससे सेल्फ इंपलायमेंट हो जाती है। पंजाब में 800 से अधिक फार्म रजिस्टर्ड हैं। वैक्सीन के आने के बाद सूअर पालन और सुरक्षित हो जाएगा। जिससे पालकों को नुकसान नहीं होगा। स्वाइन फीवर से पालकों को होता था आर्थिक नुकसान
सेल कल्चर क्लासिकल स्वाइन फीवर वैक्सीन पर शोध करने वाली पीवीवीआई की वैज्ञानिक डॉ. सिमरत कौर गिल ने बताया स्वाइन फीवर छोटी उम्र के सूअरों में होता है। फीवर की चपेट में आने के बाद सूअर को तेज बुखार, वजन कम होना, खाना पीना छोड़ देना, चमड़ी पर नीले रंग के धब्बे पड़ने जैसे लक्षण आने शुरू हो जाते हैं। जिससे सूअरों की रिप्रोडक्शन प्रभावित होती है, इसके साथ ग्रोथ कम होती है, स्किन खराब हो जाती है। जिससे सूअर की मार्केट वैल्यू काफी कम हो जाती है। इससे सूअर पालकों को काफी आर्थिक नुकसान होता है। लेकिन यह वैक्सीन से सूअरों को स्वाइन फीवर से बचाकर रखेगी।