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भारतीय बाजार में रबड़ की किल्लत से आयात को मजबूर हुए उद्यमी

केरल में आई बाढ़ का असर पंजाब के उद्योगाें पर भी पड़ा है। केरल में रबड़ उत्‍पादन बुरी तरह प्रभावित होने से पंजाब के उद्यमियों को रबड़ का आयात करना पड़ रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 05:59 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 06:35 PM (IST)
भारतीय बाजार में रबड़ की किल्लत से आयात को मजबूर हुए उद्यमी
भारतीय बाजार में रबड़ की किल्लत से आयात को मजबूर हुए उद्यमी

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। केरल में आई बाढ़ की मार पंजाब के रबड़ पर भी पड़ी है। केरल में रबड़ का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस कारण घरेलू बाजार में रबड़ की किल्लत पैदा हो गई है। ऐसे में पंजाब के उद्यमी रबड़ का आयात करने को मजबूर हैं। ऐसे में चालू वित्त वर्ष के दौरान रबड़ आयात करीब एक लाख टन बढ़ सकता है।

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चालू वित्त वर्ष में करीब एक लाख टन रबड़ आयात बढऩे का अनुमान

काबिलेजिक्र है कि देश में केरल रबड़ उत्पादन का बड़ा केंद्र है। वहां से रबड़ पूरे देश में सप्लाई किया जाता है, लेकिन बारिश, बाढ़ ने तमाम समीकरण बिगाड़ कर रख दिए हैं। इसका रबड़ इंडस्ट्री पर विपरीत असर हो रहा है।

ऑल इंडिया रबड़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान मोहिंदर पाल गुप्ता का कहना है कि बाढ़ के कारण रबड़ के पौधों पर टैपिंग बंद हो गई और पत्ते को बीमारी लग गई। अब डेढ़ से दो माह तक टैपिंग नहीं हो सकती।

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वहां से रबड़ की आवक काफी कम हो गई है। हालांकि अगरतला से कुछ रबड़ आ रहा है, लेकिन वह इंडस्ट्री की मांग पूरा करने में समक्ष नहीं है। नतीजतन पिछले एक माह में रबड़ का रेट 25 से तीस रुपये प्रति किलो उछल गया है। हालत यह है कि बढ़े रेट पर भी माल उपलब्ध नहीं है।

ऐसे में रबड़ उद्योग थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया इत्यादि देशों से रबड़ का आयात बढ़ा रहे हैं। आयात में अभी तक पंद्रह फीसद से अधिक की वृद्धि हो चुकी है। गुप्ता का कहना है कि अपनी मांग पूरी करने के लिए सामान्य तौर पर उद्योग सालाना चार लाख टन रबड़ का विदेशों से आयात करता है, लेकिन इस सीजन में यह आयात बढ़ कर पांच लाख टन तक पहुंच सकता है।

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रुपये में गिरावट से आयात महंगा

एसोसिएशन के प्रधान मोहिंदर गुप्ता के अनुसार, आयात में भी काफी दिक्कतें आ रही हैं। एक तरफ डालर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है, इससे आयात महंगा हो रहा है। दूसरे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमतें मजबूत हो रही हैं। बावजूद इसके उद्योग चलाने के लिए महंगा कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है।

इससे इंडस्ट्री के मार्जिन पर भी जबरदस्त दबाव हैं और मुनाफा लगातार कम हो रहा है। साफ है कि फिलहाल रबड़ उद्योग को दोहरी मार पड़ रही है। उनका मानना है कि जब तक केरल से रबड़ की सप्लाई सामान्य नहीं हो जाती, तब तक इंडस्ट्री की दिक्कतें कम नहीं होंगी। 

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