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Punjab Street Food: बिना प्याज की कचौरी का लीजिए स्वाद, पटियाला में साधू राम की कचाैरी के पंजाबी मुरीद

Punjab Street Food टेस्टी फूड के लिए फेमस शाही शहर में अगर आप आ रहे हैं ताे यहां की कचाैरी का स्वाद लेना न भूलें। बुक्स मार्केट स्थित साधू राम की दुकान का स्वाद ही कुछ निराला है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Mon, 20 Jun 2022 01:08 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jun 2022 01:08 PM (IST)
Punjab Street Food: बिना प्याज की कचौरी का लीजिए स्वाद, पटियाला में साधू राम की कचाैरी के पंजाबी मुरीद
खानपान के लिए मशहूर शाही शहर में लीजिए कचाैरी का स्वाद। (जागरण)

सुरेश कामरा, पटियाला। खानपान के लिए मशहूर शाही शहर में यदि आप आ रहे हैं ताे यहां के लजीज व्यंजनाें का स्वाद आप भूल नहीं पाएंगे। बुक्स मार्केट स्थित साधू राम की दुकान किसी पहचान की मोहताज नहीं है। जैसे पटियाला पेग, पटियाला सलवार, पटियाला परांदे पूरे प्रदेश में मशहूर हैं। उसी प्रकार साधू राम की दुकान की कचौरियां भी काफी प्रसिद्ध हैं। जिले के लोगों के साथ साथ बाहर के लोग भी यहां कचौरी का स्वाद चखने जरूर आते हैं। पिछले 57 साल से साधू राम की दुकान की कचौरियों का स्वाद बरकरार है।

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शहर की बुक्स मार्केट में साधू राम की कचौरियां वाले की दुकान साल 1965 से स्थित है। साल 1965 में उन्होंने बुक्स मार्केट में दुकान ली और यहां पर कचौरियों के साथ शक्कर के लड्डू बेचने शुरू किए। साधू राम नाभा के पास छीटांवाला डेरे के संतों को मानते थे और उन संतों ने उनको आशीर्वाद देकर कहा था कि वह कचौरियां बेचने का काम करें तो काफी शोहरत मिलेगी, लेकिन इस बात का ध्यान रखे कि इसमें प्याज का तड़का मत लगाए। तब से वे कचौरियों को प्याज का तड़का नहीं लगाते, हालाकि अब उनकी दुकान में दी जाने वाली चटनी में जरूर प्याज का इस्तेमाल होना शुरु हो चुका है, लेकिन आज तक उनके स्वाद में किसी तरह का बदलाव नहीं आया।

दामाद का दामाद संभाल रहा अब दुकान

साधू राम की मौत के बाद उनके दामाद सुरिंदर कुमार ने दुकान संभाली। इसके बाद 2004 में साधू राम की मौत हो गई। अब सुरिंदर कुमार का दामाद नरेश कुमार दुकान संभाल रहे हैं। नरेश कुमार ने बताया कि सुबह आठ बजे से लेकर रात आठ बजे तक दुकान रोज खुलती है। उन्होंने कहा कि दुकान खुलने से पहले ही लोगों की भीड़ लगी होती है। उन्होंने कहा कि वे रोजाना ताजा माल तैयार करते हैं। शाम तक सारा माल बिक जाता है। उनके यहां शहर से ही नहीं बल्कि बाहरी जिलों से भी लोग कचौरी लेकर जाते हैं। इस समय दुकान में कचौरियों के अलावा समोसे भी बनाए जाते हैं।


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