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लुधियाना के जगराओं में पंजाब रोडवेज व पनबस कर्मचारियो ने फूंकी पंजाब सरकार की अर्थी, जानें पूरा मामला

लुधियाना के जगराओं में पंजाब रोडवेज पनबस जगराओं डिपू के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर पंजाब सरकार का पुतला फूंका। उन्होंने कहा कि रोडवेज में रेगूलर भर्ती शुरू की जाए। कर्जा मुक्त पनबसों स्टाफ सहित राेडवेज में शामिल की जाएं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 02:20 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 02:20 PM (IST)
लुधियाना के जगराओं में पंजाब रोडवेज व पनबस कर्मचारियो ने फूंकी पंजाब सरकार की अर्थी, जानें पूरा मामला
पंजाब रोडवेज-पनबस कर्मचारी पंजाब सरकार की अर्थी फूंक प्रदर्शन करते हुए

जगराओं, जेएनएन। पंजाब रोडवेज पनबस जगराओं डिपू के कर्मचारियो ने जत्थेबंदी के फैसले अनुसार रोष में पंजाब सरकार का पुतला फूंका। इस मौके पर अवतार सिंह गगड़ा व जगसीर सिहं नेरी ने बताया कि रोडवेज कर्मचारियों में बहुत रोष है, क्योंकि ट्रांस्पोर्ट मंत्री ने 15 दिसंबर 2020 को एक्शन कमेटी व पनबस वर्कर यूनियन को मीटिंग का समय दिया था। परंतु सेहत का बहाना लगाकर मीटिंग नही की। इस मीटिंग को उच्चाधिकारियों ने अटेंड किया और एक सप्ताह बाद ट्रांस्पोर्ट मंत्री से मीटिंग करवाने का भरोसा दिया। परंतु अभी तक ट्रांसपोर्ट मंत्री की ओर से मीटिंग नही की गई है।

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उन्होने कहा कि पंजाब सरकार ने कर्मचारियां व पेंशनर्स से चढ़ते वर्ष पे-कमिशन लागू करने का वादा किया था। परंतु 30 दिसंबर 2020 को मंत्री मंडल की मीटिंग में 10 विभागों में खाली पोस्टें खत्म कर दी और नई भर्ती केंद्र के सातवें पे-कमिशन के आधार पर करने का फैसला किया। जिस अनुसार दर्जा-4 के पदों पर केवल ठेकेदारी सिस्टम तहत भर्ती की जाएगी। जिसका कर्मचारियों में भारी रोष है। कर्मचारियों ने मांग की है कि पंजाब रोडवेज को पीआरटीसी में शामिल करने के फैसले को रद्द की जाए। रोडवेज में रेगूलर भर्ती शुरू की जाए। कर्जा मुक्त पनबसों स्टाफ सहित राेडवेज में शामिल की जाएं।

कर्मचारियों ने मांग उठाई कि 1 जनवरी 2004 से भर्ती कर्मचारियों पर पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाए और पंजाब सुबारडीनेट सर्विस फेडरेशन के निमंत्रण अनुसार रोडवेज कर्मचारी 9 जनवरी 2021 को गाड़ियाें का काफिला लेकर किसान संघर्ष को समर्थन में दिल्ली कूच करेंगे। इस मौके पर धर्मेंद्र सिंह बसियां, कुलदीप सिंह खैहरा, नारेश कुमार सटैनो, रसाल सिंह, अमृतपाल सिह, परमजीत सिह पम्मी, बलजीत सिंह बिल्लू, पृथपाल सिंह पंडोरी, जगदीश सिंह काउंके भी शामिल हुए। सभी ने किसान आंदोलन को समर्थन दिया और केंद्र सरकार व पंजाब सरकार की जन मारू नीतियों की निंदा की।

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