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कैप्टन सरकार नहीं कर रही धान का भुगतान

माछीवाड़ा अनाज मंडी में धान का सीजन खत्म हो चुका है पर सरकार ने अभी तक आढ़तियों का बनता 9 करोड़ रुपये का कमीशन और मजदूरों की अदायगी के अलावा किसानों की 1.50 करोड़ रुपये धान की फसल का बकाया ही नहीं दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 09:00 AM (IST)
कैप्टन सरकार नहीं कर रही धान का भुगतान
कैप्टन सरकार नहीं कर रही धान का भुगतान

संस, श्री माछीवाड़ा साहिब : माछीवाड़ा अनाज मंडी में धान का सीजन खत्म हो चुका है पर सरकार ने अभी तक आढ़तियों का बनता 9 करोड़ रुपये का कमीशन और मजदूरों की अदायगी के अलावा किसानों की 1.50 करोड़ रुपये धान की फसल का बकाया ही नहीं दिया है।

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सच्चा सौदा आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान हरजिंदर सिंह खेड़ा ने बताया कि पहले तो आढ़तियों की फसल का बनता कमीशन और मंडी में फसल की लोडिंग, तुलाई और सफाई करते मजदूरों की अदायगी भी तुरंत हो जाती थी। इस बार पंजाब की कैप्टन सरकार ने सीजन खत्म होने के उपरात भी यह अदायगी नहीं की। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा जारी निर्देशों अनुसार, आने वाले गेहूं के सीजन से पहले आढ़तियों के साथ जुड़े सभी किसानों का ब्यौरा, बैंक खाते, आधार कार्ड कंप्यूटर द्वारा पोर्टल में दर्ज करवा देंगे। इस संबंधी उन्होंने लिखित में दे दिया, उसके बावजूद भी करोड़ों रुपये बकाया सरकार ने रोका हुआ है। प्रधान खेड़ा ने कहा कि आढ़ती और मजदूर पूरा वर्ष मंडी में मेहनत करते हैं और सीजन का इंतजार करते हैं ताकि उनको मेहनत का मूल्य मिल सके। लेकिन अब सरकार की टाल-मटोल वाली नीतियों के कारण उनके व्यापार का आर्थिक नुकसान हो रहा है। माछीवाड़ा के आढ़तियों ने सरकार से मांग की है कि उनका कमीशन, मजदूरों का मेहनताना और किसानों की फसल अदायगी तुरंत की जाए। अंतिम दिनों में हुई खरीद की भी नहीं दी पेमेंट

आढ़तियों ने कहा कि मंडी में काम करने वाले मजदूर अपना मेहनताना लेकर वापस अपने राज्यों में परिवार के पास जाना चाहते हैं पर सरकार ने उनकी करोड़ों रुपये अदायगी रोकी हुई है। इस कारण वह प्रतिदिन आढ़त की दुकानों पर आकर बैठ जाते हैं और पैसों की मांग करते हैं। प्रधान हरजिंदर खेड़ा ने बताया कि माछीवाड़ा मंडी में सीजन के अंतिम दिनों में जो किसानों के धान की खरीद हुई, उसकी 1.50 करोड़ रुपये राशि भी सरकार की तरफ बकाया है। पेमेंट के लिए किसान रोज मंडी के चक्कर लगा रहे हैं।


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