आखिर संयुक्त समाज माेर्चा के सीएम फेस राजेवाल क्याें खोलने लगे आम आदमी पार्टी की पोल; जानें पूरा मामला
Punjab Chunav 2022ः राजेवाल ने स्पष्ट कहा कि आप के साथ गठजोड़ न होने का कारण उसके उमीदवारों को टिकट बेचने के मामले की पोल खोलना था। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आप के संयाेजक केजरीवाल को सबूत भी सौंप दिए थे लेकिन कुछ नहीं हुआ।
जेएनएन, श्री माछीवाड़ा साहिब (लुधियाना)। Punjab Chunav 2022ः दिल्ली बार्डर पर किसान आंदोलन का केंद्र बनकर उभरे बलबीर सिंह राजेवाल ने एक अलग छाप छोड़ी थी। भले ही अन्य दलों के साथ उनका रुख कड़ा था, लेकिन आम आदमी पार्टी के प्रति उनका साॅफ्ट काॅर्नर था। उस वक्त यह भी बातें उठी कि राजेवाल आप में शामिल हो जाएंगे और पंजाब में विधानसभा चुनाव में उनके साथ चुनाव लड़ेंगे। हालांकि कई कारणों से उनकी आप से नहीं पटी और उन्होंने आप से संबंध तोड़ लिए। कभी आप की तारीफ करने वाले राजेवाल अब संयुक्त समाज मोर्चा का नेतृत्व करते हुए आम आदमी पार्टी की ही पोल खोलने लग गए हैं।
राजेवाल ने स्पष्ट कहा कि आप के साथ गठजोड़ न होने का कारण उसके उमीदवारों को टिकट बेचने के मामले की पोल खोलना था। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आप के संयाेजक केजरीवाल को सबूत भी सौंप दिए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। केजरीवाल के साथ जब उनकी गठबंधन संबंधित मीटिंग हुई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि वह उनको पंजाब से 'आप' का मुख्यमंत्री चेहरा बनाना चाहते हैं तो भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 'आप' के जो कुछ उमीदवार घोषित किए गए हैं, उनमें सरमाएदारों से कोठियां व कारें लेकर टिकट दीं गई। उन्होंने सबूत भी केजरीवाल को सौंपे।
राजेवाल ने कहा कि जो राजनीतिक नेता करोड़ों रुपये की टिकट खरीद कर विधायक बनते हैं वह बड़ा भ्रष्टाचार करेंगे, जिससे राजनीति को व्यापार बनाने का प्रयास करेंगे और वह उन्हें बर्दाश्त नहीं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि संयुक्त समाज मोर्चा का गठन पंजाब की राजनीति में फैली गंदगी को साफ करने के लिए हुआ है क्योंकि यहां नेता लोगों का पैसा विकास की बजाय भ्रष्टाचार कर अपनी तिजोरियां भरते हैं।
ना चुनाव लड़ने का इच्छुक था न मुख्यमंत्री का
बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि वह न तो विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक थे और न ही वह मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। परंतु जब किसान जत्थेबंदियों ने कृषि कानून रद करवा कर केंद्र सरकार को मुंहतोड़ जवाब दिया और फिर बुद्धिजीवियों व नेताओं ने उन्हें राजनीति में फैली गंदगी साफ करने के लिए चुनाव लड़ने को प्रेरित किया, तब उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया।