रसोई का बजट बिगड़ा, दालें 100 के पार
महंगाई का असर सब्जियों के बाद अब दालों पर भी पड़ने लगा है। कुछ दिनों में दाल की कीमतों में भी उछाल आया है। दालों के भाव बढ़ गए हैं और आगे भी बढ़ने के आसार हैं।
संवाद सहयोगी, समराला : महंगाई का असर सब्जियों के बाद अब दालों पर भी पड़ने लगा है। कुछ दिनों में दाल की कीमतों में भी उछाल आया है। दालों के भाव बढ़ गए हैं और आगे भी बढ़ने के आसार हैं। इसके बावजूद दालों की कीमत बढ़ती ही जा रही है। एक माह के भीतर ही दाल की कीमतों में 20 से 25 फीसद तक उछाल आया है। अरहर, उड़द, मूंग, चना, दाल चना, उड़द साबुत, मूंग धुली, मसरी सहित सभी दालों के दाम में बढ़ोतरी हो गई है।
बढ़ी कीमतों से मध्यवर्गीय परिवारों का बजट पूरी तरह गड़बड़ा गया है। अरहर, चना, उड़द की दाल को आमतौर पर सभी घरों में पसंद किया जाता है। पिछले एक माह के दौरान तीनों ही दालों की कीमतों में 10 से 20 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। दाल कारोबारियों के मुताबिक कीमत बढ़ने की वजह एमएसपी की बढ़ती कीमत है। चने की दाल में महंगाई के कारण अन्य दालों की कीमत भी बढ़ रही है। दालों का रिटेल भाव
उड़द-110 से 120 रुपये प्रति किलो
उड़द छिलका- 100 से 115 रुपये प्रति किलो
मूंग धुली -110 से 115 रुपये प्रति किलो
चना दाल -75 से 85 रुपये प्रति किलो
अरहर दाल-120 से 125 रुपये प्रति किलो
मूंगी साबुत- 100 से 110 रुपये प्रति किलो
काबुली चना- 90 से 100 रुपये प्रति किलो महंगाई ने कमर तोड़ दी: आशा रानी
आशा रानी का कहना है कि मंहगाई के कारण रसोई का बजट पूरी तरह गडबड़ा गया है। इससे पहले कोरोना महामारी के कारण उनका व्यापार ठप रहा है। ऊपर से महंगाई ने कमर तोड़ दी। लाकडाउन के बाद लगातार बढ़ रही दाल की कीमतें
लाकडाउन के बाद से ही दाल की कीमतों में लगातार उछाल आ गया है। इसकी शुरूआत चना दाल से हुई है। अरहर दाल बाजार में 120 से लेकर 125 रुपये प्रति किलो बिकने लगी है। कोट्स..
सरकार इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है जिस कारण महंगाई चरम सीमा पर है। बड़े व्यापारी रेट बढ़ने से पहले ही स्टाक जमा कर लेते हैं और भारी मुनाफा कमाते हैं। कोरोना महामारी के कारण पहले ही लोग आर्थिक मंदी का दौर झेल रहे हैं, ऊपर से महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है।
-मण वडेरा, प्रधान शिव सेना यूथ पंजाब।