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लुधियाना की जामा मस्जिद के बाहर फ्रांस के खिलाफ रोष प्रदर्शन, राष्ट्रपति मैक्रोन का पुतला फूंका

नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा की शान-ए-रसूल सल्ललाहू अलैहिवसल्लम में गुस्ताखी हरगिज सहन नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा की बार-बार फ्रांस की ओर से ही ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह यूरोपीयन देशों से इसके लिए मोटे फंड बटोरता आ रहा है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 03:31 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 03:31 PM (IST)
लुधियाना की जामा मस्जिद के बाहर फ्रांस के खिलाफ रोष प्रदर्शन, राष्ट्रपति मैक्रोन का पुतला फूंका
फ्रांस के राष्ट्रपति का पुतला फूंकते मुस्लिम भाईचारे के लोग। (जागरण)

लुधियाना, जेएनएन। शहर की जामा मस्जिद के बाहर फील्ड गंज चौंक में मजलिस अहरार इस्लाम की ओर से पुतला फूंक रोष प्रदर्शन किया गया। जिसमें फ्रांस के खिलाफ सैंकड़ों की संख्या में मुसलमान भाईचारे के लोगों ने रोष प्रकट करते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रोन का पुतला फूंका।

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इस अवसर पर नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा की शान-ए-रसूल सल्ललाहू अलैहिवसल्लम में गुस्ताखी हरगिज सहन नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा की बार-बार फ्रांस की ओर से ही ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि फ्रांस यूरोपीयन देशों से इस्लाम के विरोध के नाम पर मोटे फंड बटोरता आ रहा है। इतिहास गवाह है कि बीते एक हजार वर्षों में फ्रांस के कट्टरपंथियों ने बार-बार शान-ए-रसूल सल्ललाहू अलैहिवसल्लम में गुस्ताखी की कोशिश की है और हर बार माफी मांगी है।

नायब शाही इमाम ने कहा की दरअसल फ्रांस के कट्टरपंथी अपने देश में अपने ही लोगों द्वारा इस्लाम को पसंद करने की आ रही लगातार खबरों से बौखला गए हैं और वह अपना चरित्र और व्यवहार ठीक करने की बजाय इस्लाम पर आतंकवाद का इल्ज़ाम लगा कर इसे रोकना व बदनाम करना चाहते हैं। उस्मान लुधियानवी ने कहा कि इस्लाम और हमारे आका हजऱत मुहम्मद साहिब सल्ललाहू अलैहिवसल्लम की शान में की जा रही गुस्ताखियां इस बात की जिंदा दलील है कि इस्लाम विरोधी फ्रांस पर बौखलाहट तारी है, क्योंकि बेबसी में ही लोग अपने विरोधियों को गाली देते हैं जो इनकी बुजदिली जाहिर करती हैं।

नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा कि बोलने कि आज़ादी का यह मतलब नहीं कि आप किसी की छवि खराब करने की कोशिश करें। क्या चलने का यह मतलब हो सकता है कि आप चलते-चलते किसी के भी घर में घुस जाए नहीं ना, ऐसे ही हर काम की कुछ सीमाएं होती हैं। इस अवसर पर मुहम्मद मुस्तकीम अहरार, शाहनवाज खान, कारी मोहतरम, बाबूल खान, अकरम अली, मीजान उर रहमान भी उपस्थित थे।


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