बुड्ढा दरिया को साफ करने के लिए प्रो. बाबू दिल्ली से भेजेगे रिपोर्ट, गंदगी देख दी तीखी प्रतिक्रिया Ludhiana News
नगर निगम के बुलावे पर दिल्ली से लुधियाना पहुंचे प्रो. सीआर बाबू ने शुक्रवार को दरिया का दौरा भी किया। नग उन्होंने ताजपुर से लेकर वलीपुर तक बुड्ढा दरिया के दोनों तरफ का एरिया देखा।
लुधियाना, जेएनएन। शहर की सेहत के लिए नासूर बन चुके बुड्ढा दरिया को साफ करने के लिए नगर निगम लगातार प्रयोग पर प्रयोग किए जा रहा है। इसी श्रृंखला में शुक्रवार को एक नाम और जुड़ गया। यह नाम है दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सीआर बाबू का। इनका दावा है कि बायो रेमेडिज से वह बुड्ढा दरिया को स्वच्छ कर देंगे। नगर निगम के बुलावे पर दिल्ली से लुधियाना पहुंचे प्रो. सीआर बाबू ने शुक्रवार को दरिया का दौरा भी किया। नगर निगम कमिश्नर केपी बराड़ के साथ उन्होंने ताजपुर से लेकर वलीपुर तक बुड्ढा दरिया के दोनों तरफ का 28 किलोमीटर का एरिया देखा।
नाले में गिर रहे गोबर को देख प्रोफेसर ने दी तीखी प्रतिक्रिया
नगर निगम के एसई राजिंदर सिंह, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के साथ प्रो. सीआर बाबू ने ताजपुर रोड से वलीपुर तक की विजिट के दौरान दो प्वाइंटस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। ताजपुर रोड व हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स के पास नाले में सीधे गिर रहे गोबर को देख प्रोफेसर बाबू ने कहा कि ऐसे बदहाल हालात तो कहीं भी नहीं देखी। प्रोफेसर ने दो टूक कह दिया कि जब तक गोबर का गिरना नाले में जारी है, तब तक इसका हल निकालना मुश्किल है। इस पर रोक लगानी होगी।
नाले को दूषित करने के मुख्य रूप से तीन कारण
नाले में गिर रहे गोबर, इंडस्ट्री खासकर डाइंग इंडस्टी का दूषित पानी व नगर निगम द्वारा सीधे तौर पर फेंका जा रहा सीवरेज का पानी। इन पर लगाम लगाने की सलाह देते हुए प्रोफेसर ने कहा कि इसका बायो रेमिडीज का फुलप्रूफ प्लान दिल्ली से बनाकर भेजा जाएगा। अगर नगर निगम इसे इसी रूप में लागू करने में सफल रहा, तो तीन वर्ष के भीतर बुड्ढा दरिया का कायाकल्प हो जाएगा।
दावा, दिल्ली सहित सात जगह पर नाले की गंदगी को कर चुके हैं साफ
प्रो. सीआर बाबू ने दावा किया है कि दिल्ली सहित सात अन्य जगहों पर ऐसे ही गंदे नाले की सफलतापूर्वक सफाई बायो रेमिडीज के माध्यम से कर चुके हैं। इसके लिए दरिया के कुछ प्वाइंट्स पर पत्थरों के ब्रिज बनाने होंगे। खास तकनीक से बने इन ब्रिज पर पत्थरों से टकराकर दरिया के गंदे पानी में आक्सीजन की मात्र इतनी बढ़ जाएगी कि इसकी भीतर तक सफाई हो जाएगी। इसके अलावा कई अन्य तरीके अपनाने होंगे, जिनमें किनारों पर कुछ खास किस्म के पौधे लगाने के अलावा अन्य विधियां अपनाई जाएंगी। जिसका रिपोर्ट में विस्तार से जिक्र होगा। प्रो. सीआर बाबू ने इस तकनीक से होने वाली सफाई को स्थायी व बाकी तकनीकों के मुकाबले बेहद सस्ती होने का भी दावा किया।
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