आंखें लड़ें या भिड़ें दुख ही देंगी
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि ठाणा-6 सुखसाता विराजमान हैं।
- एसएस जैन सभा सिविल लाइंस में प्रार्थना सभा
- गुरुदेव अरूण मुनि ने पांच इंद्रियों के बारे में बताया संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि ठाणा-6 सुखसाता विराजमान हैं। रविवार के संदेश में गुरुदेव अरुण मुनि ने कहा कि मानव के पास पांच इन्द्रियां हैं, कान, आंख, नाक, जीभ व त्वचा। कानों द्वारा किसी की निदा न सुने व न करें। निदा करने से ज्यादा सुनने वाले को पाप लगता है। कान के आगे लिखवा लें डस्टबिन और ऊपर लिख लें कृपा मेरा प्रयोग करें। अर्थात निदा करने वाला अपना कचरा घर से निकाल कर आपके घर में डाल रहा है। इसी तरह इन आंखों को भी थोड़ा कंट्रोल करें, क्योंकि यह बड़ी नालायक है। किसी से लड़ या भिड़ जाए तो दुख ही देती है। जिदगी में अधिकतर गड़बड़ियां इसी आंख से शुरू होती हैं। इसके बडे़ कारनामे है। बाहर की आंख बंद होने से पहले भीतर की खुल जानी चाहिए, वरना इतिहास में तुम्हारा नाम अंधों की सूची में दर्ज होगा। कभी भी टीवी देखते हुए भोजन न करें व अखबार पढ़ते हुए चाय न पीएं। नाक का गलत प्रयोग न करे व जीभ द्वारा किसी को कड़वा न बोलें। जीभ के कारण से ही आज शुगर, बीपी, कैंसर जैसी भयानक बीमारियां पैदा होती हैं।
शुगर के नाम से ही इंसान इतना घबरा गया है कि मीठा खाने के साथ बोलना भी छोड़ दिया है। खाओ पर छको मत, देखो पर तको मत, बोलो पर बको मत। इस दौरान अतिशय मुनि ने कहा कि संत की सेवा मर्यादा में रहकर होती है।