लुधियाना में नए निवेश पर पीपीसीबी का अडंगा, 500 यूनिट काे चलाने की नहीं मिल रही मंजूरी; जानें कारण
फोकल प्वाइंट फेज चार ए के प्रधान राजन गुप्ता ने कहा कि पीपीसीबी चेयरमैन और सरकार को चाहिए कि कपैसिटी को ओवरटाइम से बेहतर किया जा सकता है। ट्रीटमेंट के लिए आप्रेटर भी तैयार है। सरकार को इसके लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।
लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। एक तरफ सरकार नई इंडस्ट्री लगाने को लेकर घोषणाएं कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ लुधियाना में पीपीसीबी की कंसेंट नहीं मिलने के चलते 500 से अधिक यूनिट शुरू होने के इंतजार में हैं। इसका मुख्य कारण पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से इंडस्ट्रीयल पानी के ट्रीटमेंट को लेकर कपेसिटी कम होने को बताया जा रहा है। लुधियाना के जेबीआर टेक्नाेलाॅजी ट्रीटमेंट प्लांट की ओर से अभी पांच लाख लीटर पानी को ट्रीट किया जा रहा है और इसके लिए एग्रीमेंट पहले से पूरे हैं।
इसमें न केवल लुधियाना के बल्कि मोहाली, जालंधर, अमृतसर, डेरा बस्सी सहित कई शहरों के यूनिट्स का पानी ट्रीटमेंट के लिए लुधियाना आता है। इसके चलते लुधियाना के 500 से अधिक यूनिट अभी चल नहीं पाए हैं, जबकि कई यूनिट एक्सपेंशन नहीं कर पा रहे। लुधियाना के उद्याेगपतियों का कहना है कि सरकार को आप्रेटर को एक्सपेंशन के साथ-साथ ओवरटाइम के जरिये काम करने की इजाजत दी जाए तभी इंडस्ट्री विस्तार कर सकेगी। इसके साथ ही दूसरे शहरों को लुधियाना में ट्रीटमेंट के लिए लाने की बजाए उसके लिए उन्ही शहरों में व्यवस्था की जाए।
फोकल प्वाइंट फेज चार ए के प्रधान राजन गुप्ता ने कहा कि पीपीसीबी चेयरमैन और सरकार को चाहिए कि कपैसिटी को ओवरटाइम से बेहतर किया जा सकता है। ट्रीटमेंट के लिए आप्रेटर भी तैयार है। सरकार को इसके लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। अभी आप्रेटर की कपैसिटी 5 लाख लीटर के एग्रीमेंट हुए पड़ें हैं। लेकिन रोजाना पांच लाख लीटर पानी ट्रीट नहीं होता, इसके साथ ही दूसरे शहरों का बोझ लुधियाना पर कम किया जाए। लुधियाना इलेक्ट्रोप्लेटर्स एसोसिएशन के सचिव चन्द्रप्रकाश सभ्रवाल ने कहा कि इंडस्ट्री कई सालों से एक्सपेंशन की तैयारी में हैं। इस समस्या के समाधान को लेकर तत्काल काम होना चाहिए।
लुधियाना एंफ्यूलेंट ट्रीटमेंट सोसायटी के फाउंडर सचिव अशोक गुप्ता ने कहा कि इस समय पानी की कपैसिटी में बढ़ोतरी की अहम आवश्यकता है। कई कारखानों के निर्माण को लेकर करोड़ों रुपए का निवेश हो चुका है। लेकिन कारखाने को चलाने के लिए कंसेंट का इंतजार है। इसके लिए विकल्पों पर सरकार को तत्काल काम करना चाहिए। इसके लिए इंडस्ट्री भी पूर्ण सहयोग देने को तैयार है।