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कैबिनेट मंत्री आशु के लिए अपने हुए पराए, चुनावी रण में देंगे चुनौती

लुधियाना पश्चिम शहर की हाट सीट है। यहां से कांग्रेस ने अपने कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु को लगातार तीसरी बार जीत की उम्मीद के साथ मैदान में उतारा है। इस बार आशु की राह पहले अधिक मुश्किल दिख रही है। जो पहले अपने थे उन्होंने ही चुनावी रण में इस बार मोर्चा खोल दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 01:23 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 01:23 AM (IST)
कैबिनेट मंत्री आशु के लिए अपने हुए पराए, चुनावी रण में देंगे चुनौती
कैबिनेट मंत्री आशु के लिए अपने हुए पराए, चुनावी रण में देंगे चुनौती

राजीव शर्मा, लुधियाना : लुधियाना पश्चिम शहर की हाट सीट है। यहां से कांग्रेस ने अपने कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु को लगातार तीसरी बार जीत की उम्मीद के साथ मैदान में उतारा है। इस बार आशु की राह पहले अधिक मुश्किल दिख रही है। जो पहले अपने थे उन्होंने ही चुनावी रण में इस बार मोर्चा खोल दिया है। राजनीति की पिच पर अपने भी आशु के खिलाफ बैटिंग कर रहे हैं। अपनों के अलावा आशु को दूसरे राजनीतिक दलों के दिग्गज भी हैट्रिक बनाने से रोकने के लिए मैदान में पुरजोर तरीके से उतर चुके हैं।

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23 साल तक कांग्रेस में रहे गुरप्रीत गोगी ने चुनाव से ठीक पहले आप का दामन थाम लिया और टिकट लेकर चुनावी मैदान में उतर आए हैं। गोगी कांग्रेस के भेदी हैं। लंबे समय में पार्षद रहे हैं। क्षेत्र में अपना एक मजबूत आधार भी रखते हैं। वहीं दूसरी ओर आशु के पुराने मित्र तरुण बावा जैन को संयुक्त समाज मोर्चा ने मैदान में उतार दिया है। बावा भी आशु के राजदार रहे हैं।

गौरलतब है कि कांग्रेस में रहते हुए गोगी और आशु के बीच पिछले कुछ समय से सब ठीक नहीं था। गोगी आशु पर लगातार अंगुली उठा रहे थे। पाला बदलते ही गोगी कड़े तेवरों के साथ चुनाव मैदान में दिख रहे हैं। उन्होंने आशु के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं, आशु के समर्थक भी गोगी के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे हैं। वहीं, तरुण बावा जैन ने 650 करोड़ के बुड्ढा दरिया कायाकल्प प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े किए थे और अपना करीब दो सौ करोड़ का प्रोजेक्ट दिया था। इससे आशु और बावा के बीच तल्खी बढ़ी थी।

इसके अलावा इस बार शिअद ने भाजपा से अलग होने के बाद अपने दिग्गज महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल को मैदान में उतारा है। उधर भाजपा के संभावित उम्मीदवार भी लगातार आशु पर आरोप लगाकर उन्हें घेरने में लगे हुए हैं। इस बार देखना दिलचस्प रहेगा कि अपनों और दिग्गजो की चुनौती से आशु कैसे पार पाते हैं। मौजूदा राजनीतिक तस्वीर में एक बात साफ है कि सभी के निशाने पर मुख्य तौर पर आशु ही रहेंगे। पिछले पांच साल के कार्यकाल में आशु पहले से अधिक विवादों में रहे हैं।

हालांकि आशु भी मैदान में उतरकर हलके में करवाए विकास कार्यो का दम भर रहे हैं। जगह-जगह 'आशु मैन आफ प्रामिस' के बोर्ड लगवाए हैं। यही नहीं हलके में उनका मजबूत आधार भी है। अभी तक के समीकरणों से साफ है कि पश्चिम हलके से मुकाबला कड़ा होने वाला है।

छह बार कांग्रेस ने जीती है यह सीट

लुधियाना पश्चिम हलका वर्ष 1977 में बना था। अब तक इस सीट पर सबसे अधिक छह बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। केवल दो बार शिअद को यहां से कामयाबी मिली है और महज एक बार जेएनपी यहां से जीत दर्ज कर पाई है। भारत भूषण आशु लगातार दो बार जीत चुके हैं। यह उनका तीसरी चुनाव है।

फ्लैशबैक : सबसे अधिक अंतर से जीत थे आशु

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारत भूषण आशु ने 66 हजार 627 वोट हासिल किए थे। आप के अहबाब सिंह ग्रेवाल को 30 हजार 106 और अकाली-भाजपा गठबंधन के कमल चेतली को महज 22 हजार 620 वोट प्राप्त हुए थे। आशु ने 36 हजार 521 मतों से जीत दर्ज की थी।

विस क्षेत्र पश्चिम (वेस्ट)

पार्टी मत प्रतिशत

काग्रेस 66627 54.86

आप 30106 24.79

भाजपा 22620 18.63


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