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जब पुलिसकर्मी ने झंडा फहरा दिया तिरंगा और मंत्री देखती रह गईं

पुलिस कर्मी ने ध्वजारोहण के लिए झंडे की रस्सी मंत्री के हाथ में पकड़ानी थी। परंतु मंत्री साहिबा तो मंच से झंडे की ओर ही देखती रही और पुलिसकर्मी ने झंडा फहरा भी दिया।

By Vikas KumarEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 02:45 PM (IST)
जब पुलिसकर्मी ने झंडा फहरा दिया तिरंगा और मंत्री देखती रह गईं
जब पुलिसकर्मी ने झंडा फहरा दिया तिरंगा और मंत्री देखती रह गईं

लुधियाना [राजेश भट्ट]। गुरु नानक स्टेडियम में जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस समागम की तैयारियां जोरों-शोरों से प्रशासन की ओर से की गईं थीं। कैबिनेट मंत्री अरुणा चौधरी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुईं। राष्ट्रीय ध्वज उन्हें ही फहराना था। मंत्री साहिबा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार स्टेडियम में पहुंची। तिरंगा फहराने के लिए वह डीसी व सीपी के साथ मंच पर पहुंची। मंत्री ने तिरंगे की तरफ नजर उठाई। पुलिस कर्मी ने ध्वजारोहण के लिए झंडे की रस्सी मंत्री के हाथ में पकड़ानी थी। परंतु मंत्री साहिबा तो मंच से झंडे की ओर ही देखती रही और पुलिसकर्मी ने झंडा फहरा भी दिया। ऊपर से रंगीन कागज के टुकड़े मंत्री की तरफ गिरे तो वह भी राष्ट्रगान के लिए खड़ी हो गई। पुलिस कर्मी के झंडा फहराने की वहां लोगों में खूब चर्चा रही कि जब पुलिस कर्मी ने ही झंडा फहराना था तो मंत्री आई ही क्यों?

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इक कांट्रेक्टर बावा जी पक्के

बुड्ढा दरिया में प्रदूषण कम करने के कई प्रयास किए गए पर हालात वही हैं। कुछ दिन पहले बचत भवन में दरिया की सफाई को लेकर बैठक हुई। इसमें सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एसटीपी के निर्माण के टेंडर में बनाए एस्टीमेट पर बहादुरके रोड निटवियर एंड टेक्सटाइल इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रधान तरुण जैन बावा ने सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने अफसरों और एस्टीमेट बनाने वाले इंजीनियरों को घेर लिया। बावा ने कहा, अफसरों ने ओवर रेट एस्टीमेट बनाया है। इससे सीधे कांट्रेक्टर को फायदा होगा। भरी बैठक में वह बोले, 'यह ठेका मुझे दो, मैं इसे एक करोड़ रुपये प्रति एमएलडी के हिसाब से बना दूंगा।' डीसी प्रदीप अग्रवाल ने चुटकी ली और सीईओ संयम अग्रवाल से कह दिया कि इस बार एक कांट्रेक्टर बावा जी तो पक्के हैं। सभी अफसर खूब हंसे।

मैं केहड़ा बर्थडे ते बुलाया सी

बेसहारा पशुओं और लावारिस कुत्तों की समस्या से सभी परेशान हैं। पशु हादसों का कारण और कुत्ते लोगों पर हमले कर रहे हैं। दूसरी तरफ वार्डों में काम नहीं हो रहे। इन सभी समस्याओं को लेकर लोगों ने पार्षदों की नाक में दम कर दिया है। जब लोग पशुओं की समस्या को लेकर पार्षदों के पास जा रहे हैं तो वे कहते हैं कि वे खुद परेशान हैं। इनमें पॉश एरिया के पार्षद भी शामिल हैं। कुछ दिन पहले सांसद रवनीत बिट्टू ने बचत भवन में बैठक की। उसमें कुछ पार्षद भी बुलाए। तभी पार्षद अमृतवर्षा रामपाल ने अपने वार्ड में बेसहारा पशुओं का मुद्दा उठाया। कहा, अब तो उनके घर के बाहर पशुओं ने डेरा जमा लिया है। उन्होंने मेयर साहब को भी बुलाया था, पर वो नहीं आए। बोले, 'मेयर साहब, समस्या सुनण आ जाया करो, मैं केहड़ा बर्थडे ते बुलाया सी।'

सीनियर डिप्टी मेयर बनते हैं विपक्षी

नगर निगम में सत्ता पक्ष इतना पावरफुल है कि विपक्षी पार्षदों की एक नहीं चलती। विपक्षी दल विरोध करें या मेयर का साथ दें, पर प्रस्ताव पास हो ही जाते हैं। एफएंडसीसी की मीटिंग में भी ऐसा ही है। एफएंडसीसी में विरोधी पक्ष के हिस्से की सीट अभी तक खाली है। दो साल बीत गए हैं लेकिन मेयर बलकार संधू ने सीट नहीं भरी। कमेटी में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर तीनों कांग्रेस के ही हैं इसलिए हर प्रस्ताव को पास करवाने में दिक्कत नहीं होती। हालांकि कई बार सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा ऐन मौके पर विपक्ष की भूमिका में आ जाते हैं और एजेंडे में शामिल प्रस्तावों का विरोध कर देते हैं। कुछ मामलों में तो मेयर संधू उनके विरोध को दरकिनार कर देते हैं लेकिन कई बार वह अड़ जाते हैं और उन्हें प्रस्ताव पेंडिंग करने पड़ते हैं।


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