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जलाने का हटाओ विचार, पराली से बनाओ अचार

लुधियाना स्थित गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) ने किया शोध किया है। शोध के बाद अब पराली मुनाफे का सौदा साबित होगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 25 Mar 2018 12:42 PM (IST)Updated: Sun, 25 Mar 2018 09:01 PM (IST)
जलाने का हटाओ विचार, पराली से बनाओ अचार
जलाने का हटाओ विचार, पराली से बनाओ अचार

लुधियाना [आशा मेहता]। पंजाब में पिछले दो दशक से धान की पराली किसानों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है। हर साल राज्य के ज्यादातर किसान पराली को आग के हवाले कर देते हैं, जिससे भूमि व पर्यावरण के साथ इन्सानों व जानवरों की सेहत प्रभावित होती है। इस समस्या से निपटने के लिए गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) ने एक हल निकाला है। पशु आहार विभाग ने यूरिया, फल व सब्जियों के वेस्ट एवं पराली से पशुओं के लिए अचार बनाने पर शोध किया है।

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पराली से ऐसे बनाएं अचार

इसे बनाना बेहद आसान है। 14 किलो यूरिया को 200 लीटर पानी में घोलना है। घोल को 400 किलो तूड़ी व पराली पर छिड़कना होता है। इसके बाद पराली को अच्छे से मिलाया जाता है। फिर पराली को कूप या बंद कमरे में नौ दिन के लिए छोड़ दिया जाता है। ध्यान रखें जिस जगह पर यह यूरिया कोटेड पराली रखी जा रही है, उसके अंदर न हवा जा सके और न ही आ सके। नौ दिन में पराली से अमोनिया गैस निकल जाएगी, जो बाद में प्रोटीन में तबदील हो जाती है।

दसवें दिन से उक्त पराली को जरूरत के हिसाब से पशुओं को दिया जा सकता है। छह माह से कम के पशु को यह खुराक नहीं देनी चाहिए। इस तरह से तैयार की गई पराली में छह से आठ प्रतिशत कच्ची प्रोटीन, तीन से चार प्रतिशत पाचनयोग्य प्रोटीन, रेशे की पाचन योग्य शक्ति 70 से 75 प्रतिशत, कुल पाचन योग्य तत्व 50 से 55 प्रतिशत तक हो जाती है। यूरिया ट्रीटेड पराली को छह महीने तक स्टोर किया जा सकता है।

फल-सब्जियों के वेस्ट से ऐसे बनाएं अचार

पशु आहार विभाग की प्रमुख डॉ. मंजू वाधवा ने बताया कि सेब के वेस्ट से अचार बनाने के लिए सेब के वेस्ट को कुतरी हुई पराली में मिलाना होता है। ठीक इसी तरह सब्जियों जैसे कि आलू, शलजम, गाजर या अन्य सब्जियों के छोटे-छोटे हिस्से करके उसे भी कुतरी हुई पराली में मिलाकर अचार बनाया जा सकता है।

इसके लिए 70 प्रतिशत वेजीटेबल या फ्रूट वेस्ट या फिर सेब के वेस्ट में 30 प्रतिशत धान या गेहूं की पराली को लिया जाता है, जिसे अच्छे से मिलाकर उसे 45 दिन के एयर टाइट पॉलीथिन में भर कर बंद रखना होता है। 45 दिन में यह मिश्रण साइलेज (आचार) में तबदील हो जाता है, जिसे बाद में पशुओं को खिलाया जा सकता है। इस तरह की पराली को पशुओं को खिलाने से उनकी पाचन शक्ति में सुधार आता है।

यूरिया के साथ पराली को ट्रीट कर बनाया पशु आहार

वेटरनरी यूनिवर्सिटी के सीनियर न्यूट्रिशियनिस्ट डॉ. एपीएस सेठी ने बताया कि जिन किसानों के खेतों में पराली अधिक होती है, वे इसे यूरिया के साथ शोध (ट्रीट) कर पशुओं के लिए पौष्टिक आहार बना सकते हैं।

ट्रेनिंग ले सकते हैं किसान

डॉ. मंजू वाधवा ने कहा कि पराली से पशुओं के लिए पौष्टिक खुराक बनाने की ट्रेनिंग पशु पालक उनसे ले सकते हैं। इसके लिए पांच दिन की हैंड जोन ट्रेनिंग दी जाती है। किसान इस शोध का फायदा उठाकर न सिर्फ अपने दुधारु पशुओं के लिए पौष्टिक खुराक जुटा सकते हैं, बल्कि इसे डेयरी फार्मरों को बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं।

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