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काेहरे में ट्रेनें कैंसिल हाेने से आफत, तीन गुणा किराया देकर अवैध बसों में सफर कर रहे यूपी-बिहार के लोग

लुधियाना से रोजाना करीब दर्जनों अवैध बसों का काउंटर खुले हुए हैं। जिला प्रशासन कभी कभार इन बसों का चालान कर मात्र खानापूर्ति कर रही है। कोविड-19 और घने कोहरे के कारण दर्जनों ट्रेनें कैंसिल हाे गई है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sun, 19 Dec 2021 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 20 Dec 2021 08:33 AM (IST)
काेहरे में ट्रेनें कैंसिल हाेने से आफत, तीन गुणा किराया देकर अवैध बसों में सफर कर रहे यूपी-बिहार के लोग
अवैध बसाें काे सफर करने काे मजबूर हैं यात्री। (जागरण)

लुधियाना, [डीएल डॉन]। लंबी दूरी की ट्रेनें कैंसिल होने से अवैध बसों के परिचालन में तेजी आ गई है। दूसरे प्रदेशों को जाने वाले यात्री मजबूरी में अवैध बसों से सफर कर रहे हैं। इन बसों में यात्रियों की सुरक्षा ताक पर होती है और अवैध बस संचालन करने वाले लोग मनमाने रेट पर टिकट बुक कर यात्रियों को बसों में भर लेते हैं। ऐसे में कोई बड़ा हादसा हो जाए तो यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेवारी किसी के पास नहीं होती है।

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लुधियाना में करीब दर्जनों अवैध बस संचालकाें के काउंटर खुले हुए हैं। जिला प्रशासन कभी कभार इन बसों का चालान कर खानापूर्ति कर रही है। कोविड-19 और घने कोहरे के कारण दर्जनों ट्रेनें कैंसिल होने से दूसरे प्रदेशों के लिए मूल गांव जाने को लेकर लोग मजबूर हैं। ट्रेन नहीं मिलने से मजबूरी में लोग ज्यादा किराया देकर भी बसों में सफर कर रहे हैं।

सरकार की सख्ती के बावजूद बसें अवैध तौर पर चलाई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड व असम आदि प्रदेशों के लिए रोजाना यहां से दर्जनों बसें जाती है। सूत्र बताते हैं कि इन बसों के परिचालन में प्रशासन की ओर से अवैध तौर पर मिलीभगत होती है जिससे यह बसें दिन भर छिपाकर रखी जाती है। शाम ढलते ही बसों की आवाजाही शुरू हो जाती है।

मनमाने किराए वसूले जाते हैं

लुधियाना से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तक के लिए डेढ़ हजार रुपये और बिहार के लिए 2000 रुपये, पश्चिम बंगाल के लिए अढाई हजार तक किराया वसूल किया जा रहा है। यह बसें उत्तर प्रदेश और बिहार की होती है। यात्री रमेश कुमार, विश्वजीत प्रसाद व रवि कुमार आदि ने बताया कि वह लोग टिकट बुक करवाए हैं और उनको कहा गया है कि वह काउंटर पर सामान लेकर पहुंचे। यहां से उन्हें ऑटो के जरिये बस तक पहुंचाया जाएगा उसके बाद वहां से बस उन्हें उनकी मूल गांव ले जाएंगे।

ट्रेनों में सीट नहीं मिल रही

विश्वजीत प्रसाद ने कहा कि ट्रेनों में सीट नहीं मिलने और आरक्षित टिकट की गुंजाइश नहीं होने के बाद मजबूर होकर वह लोग बस से सफर कर मूल गांव जाने को सोचा है। उन्होंने कहा कि उन लोगों को किशनगंज जाना है जो पश्चिम बंगाल और बिहार के सीमा पर पड़ता है किशनगंज जाने के लिए उन्हें 2800 रुपये प्रति यात्री देना पड़ा है। इस संबंध में शिवपुरी चौक में चल रहे एक बस काउंटर पर पूछताछ करने पर बताया कि बसों का परिचालन यूपी व बिहार के आपरेटर ही करते हैं। वह टिकट बुक कर अपना कमीशन ले लेते हैं और फोन से उन्हें बता देते हैं कि उनके पास इतने पैसेंजर आज के लिए है।


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