भ्रम पैदा कर रहे हैं मील पत्थर, तलवंडी साबो 482 या 182 किलोमीटर
श्री आनंदपुर साहिब से ले कर तलवंडी साबो तक मार्ग को सरकार ने गुरू गोबिद सिंह मार्ग घोषित किया है । इस मार्ग से लोग दुविधा में है।
जेएनएन, श्री माछीवाड़ा साहिब : ऐतिहासिक स्थान श्री आनंदपुर साहिब से लेकर तलवंडी साबो तक जिन रास्तों से श्री गुरु गोबिंद सिंह जी गुजरे उस रास्ते को सरकार ने गुरु गोबिद सिंह मार्ग घोषित किया है। इस मार्ग पर अब लोगों की सुविधा के लिए नए मील पत्थर लगाए गए हैं, लेकिन यह मील पत्थर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। सिख इतिहास अनुसार 1704 ई. को श्री गुरु गोबिद सिंह जी ने परिवार समेत श्री आनंदपुर साहिब का किला छोड़ा और वह रास्ते में विभिन्न स्थानों से होते हुए माछीवाड़ा साहिब और यहां से दीनागढ़, मुक्तसर साहिब, लाखी जंगल, पक्का पथराला को पार कर तलवंडी साबो पहुंचे। यहां गुरु साहिब तकरीबन 15 महीने रहे। इस पवित्र स्थान पर ही उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की रचना को संपूर्ण किया।
इस गुरु गोबिद सिंह मार्ग पर पहले भी मील पत्थर लगे थे, जिनमें से कुछ पुराने हो चुके थे और कुछ टूट चुके थे। इसके लिए मौजूदा सरकार ने 60 लाख रुपए की लागत से श्री आनंदपुर साहिब से तलवंडी साबो तक जिन रास्तों से गुरु साहिब गुजरे उन रास्तों पर नये मील पत्थर लगाए हैं। 300 किलोमीटर का सफर अधिक बता दिया : माछीवाड़ा साहिब में से गुजरते गुरु गोबिद सिंह मार्ग पर जो मील पत्थर लगाया गया है, उसमें तलवंडी साबो का रास्ता 482 किलोमीटर लिखा गया है। वहीं, गूगल मैप में वहां की दूरी केवल 182 किलोमीटर बताई जा रही है। नतीजतन लोग दुविधा में हैं कि 300 किलोमीटर का फर्क कहां है।
गूगल मैप में अपनी जगह सही : लोक निर्माण विभाग के एसडीओ परमजीत सिंह से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि गूगल मैप अपनी जगह सही दिखा रहा है। गुरु गोबिद सिंह मार्ग पर जो मील पत्थर लगाए हैं, उसके अनुसार तलवंडी साबो माछीवाड़ा से 482 किलोमीटर ही है।
सीधे रास्ते से रास्ता 182 किलोमीटर: अधिकारी ने स्पष्ट करते कहा कि विभाग ने आनंदपुर साहिब से गुरु साहिब किला छोड़ने के बाद जिन शहरों, कस्बों और गांवों से होते हुए तलवंडी साबो पहुंचे। हमने उन रास्तों की ही पैमाइश की, जो कि कुल 570 किलोमीटर लंबा रास्ता बनता है। सरकार ने उस रास्ते को ही गुरु गोबिद सिंह मार्ग घोषित किया है। यदि गुरु गोबिद सिंह मार्ग से घूमकर माछीवाड़ा साहिब से तलवंडी साबो जाओ तो यह 482 किलोमीटर ही बनता है, जबकि सीधे रास्ते से यह रास्ता 182 किलोमीटर ही बनेगा।