Brick Price Punjab: घर बनाना हुआ मंहगा, 800 रुपये बढ़े ईंट के दाम, अब 6000 रुपये में मिलेगी एक हजार
पटियाला में ईंट भट्ठा बैठक में पिछले दिनों से कोयले के रेट में हुई दोगुणा बढ़ोतरी के चलते ईंट का रेट छह हजार रुपये प्रति एक हजार करने का फैसला लिया गया। इससे पहले ईंट का रेट 5200 रुपये प्रति एक हजार था।
बलविंदरपाल सिंह, पटियाला। लोगों के लिए अब घर बनाना और महंगा हो जाएगा। वीरवार को द पटियाला ब्रिक क्लिन ओनर एसोसिएशन की जरनल बाडी की मीटिंग हुई। बैठक में पिछले दिनों से कोयले के रेट में हुई दोगुणा बढ़ोतरी के चलते ईंट का रेट छह हजार रुपये प्रति एक हजार करने का फैसला लिया गया। इससे पहले ईंट का रेट 5200 रुपये प्रति एक हजार था।
मीटिंग में शामिल भट्ठा मालिकों ने कोयले के लगातार बढ़ रहे रेट पर चिंता व्यक्त की। एसोसिएशन के जिला प्रधान यशपाल सिंगला ने बताया कि मौजूदा समय में कोयले का रेट दोगुणा से भी ज्यादा हो चुका है। पहले कोयले का रेट आठ हजार रुपये टन था जोकि अब 18 हजार रुपये टन हो चुका है। इस कारण भट्ठा मालिकों की लागत 15 फीसद बढ़ चुकी है। उन्होंने कहा कि सभी भट्ठा मालिकों की सहमति के बाद प्रति हजार ईंट के रेट में करीब 800 रुपये की बढ़ोतरी करने का फैसला लिया गया है। शुक्रवार (10 सितंबर) से छह हजार रुपये प्रति एक हजार ईंट का रेट कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लेबर के रेट में भी बढ़ोतरी करने की संभावना है, साथ ही अगर कोयले के रेट और बढ़ते हैं तो अगले कुछ दिनों में ईंट का रेट 6500 रुपये प्रति एक हजार हजार ईंट हो सकता है।
द पटियाला ब्रिक क्लिन ओनर एसोसिएशन के सदस्य जरनलबाड़ी की मीटिंग कोयले के बढ़ते रेट पर चर्चा करते हुए।
12 से 14 सितंबर तक हड़ताल की घोषणा
बैठक में ईंट भट्ठा मालिकों ने कोयले के बढ़ते रेट के रोष में आगामी 12 से 14 सितंबर तक कामकाज पूर्ण तौर पर बंद रखने का फैसला लिया है। इससे पहले संगरूर व श्री फतेहगढ़ साहिब में ईंट भ_ा कारोबारियों द्वारा ईंट के रेट में बढ़ोतरी की जा चुकी है और राज्य भर में यह रेट बढ़ने के आसार हैं।
शिपिंग चार्ज बढ़ने से बढ़ा कोयले का रेट
एसोसिएशन के महासचिव सुरिंदर सिंगला ने बताया कि शिपिंग चार्ज बढ़ने से कोयले का दाम बढ़ता जा रहा है। इसके खिलाफ एसोसिएशन ने तीन दिन की हड़ताल करने का फैसला लिया है। हड़ताल के दौरान काम पूर्ण तौर पर बंद रखा जाएगा। जनरल बाडी की मीटिंग में जिले के 104 ईंट भट्ठा मालिकों की सहमति से यह फैसला किया गया है।
सिर्फ कोयले से ही चल सकते हैं ही ईंट भट्ठे
सुरिंदर सिंगला ने कहा कि मौजूदा समय की तकनीक के मुताबिक ईंट भट्ठे सिर्फ कोयला आधारित ही हैं। इन्हें धान के छिलके, लकड़ी के बुरादे या फिर किसी अन्य फसल के अवशेष से चलाने की तकनीक बंद हो चुकी है। इस मटीरियल से तीन साल पहले तक ईंट भट्ठा चलते थे, जो कि अब बंद हो चुका है।