परीक्षा बच्चों की, कोचिंग ले रहे अभिभावक
इस समय हर तरफ परीक्षाओं का माहौल बन चुका है। कई स्कूलों में छोटी कक्षाओं की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं।
बिंदु उप्पल, जगराओं (लुधियाना)
इस समय हर तरफ परीक्षाओं का माहौल बन चुका है। कई स्कूलों में छोटी कक्षाओं की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। बड़ी कक्षाओं (विशेषकर दसवीं और बारहवीं) की परीक्षाएं मार्च से शुरू होंगीं। उसके बाद प्रवेश परीक्षाओं का दौर शुरू होगा। ऐसे में यह सिर्फ बच्चों के लिए ही चुनौती का दौर नहीं है, अभिभावकों के लिए भी परीक्षा की घड़ी है। ऐसे में बच्चों के साथ मा-बाप भी तनाव में हैं। हर मा-बाप की आजकल यही कोशिश रहती है कि वे अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के टिप्स दें। उनको पढ़ने के लिए तनावमुक्त माहौल दें। पर वे इसी पशोपेश में हैं कि वे ऐसा किस तरह करें। अपनी इस समस्या के समाधान के लिए अभिभावक अब कोचिंग संस्थानों की शरण ले रहे हैं। कोचिंग संस्थानों में उन्हें बताया जा रहा है कि परीक्षाओं के दौरान बच्चों को किस तरह घर में तनावमुक्त माहौल दें। परीक्षा की तैयारी में उनकी किस तरह मदद करें। अभिभावकों को सुबह-शाम देते हैं कोचिंग
लर्निग इज फोरएवर (लाइफ) फाउंडेशन की डायरेक्टर वर्षा बिसारिया बताती हैं कि वह लाइफ फाउंडेशन के जरिये अभिभावकों को सुबह-शाम दो-दो घटे की कोचिंग दे रही हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि वे कैसे अपने बच्चों को पेपरों के दिनों में मदद करें, ताकि परीक्षाओं में बच्चे अच्छे अंक लेकर पास हों। वर्षा बताती हैं कि आजकल के बच्चे केवल परीक्षा के दिनों में भी पढ़ाई पर ही फोकस करते हैं। बच्चे पूरे वर्ष अपना ध्यान पढ़ाई में नहीं लगाते हैं। वे भविष्य के बारे में नहीं सोचते हैं। बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें मा-बाप
वर्षा कहती हैं कि बच्चों को एकदम से होशियार बना दें, यह मैजिक हमारे पास नहीं है। कोचिंग के माध्यम से अभिभावकों को बताया जाता है कि परीक्षाओं के दौरान कैसा माहौल बच्चों को दें। बच्चों को कैसे तनावमुक्त बनाएं। बच्चों की सोशल मीडिया से दूरी बनाकर उनका ध्यान किस तरह किताबों की तरफ दिलाएं। कोचिंग में बच्चों और अभिभावकों की काउंसलिग होती है। मा-बाप को बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपने के लिए प्रेरित किया जाता है। बताया जाता है कि मा-बाप बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार कर पढ़ाई के बारे में हमेशा डिस्कस करते रहें। पढ़ाई में ब्रेक बहुत जरूरी है। बच्चों को मोबाइल और सोशल नेटवर्किग से दूर रखें। खेलों पर थोड़ा ध्यान दें, ताकि बच्चा शरीरिक रूप से चुस्त और ऊर्जावान रहे। सामान्य दिनों में 65 अभिभावक कोचिंग लेते हैं। परीक्षा के दिनों में यह संख्या 100 पार कर जाती हैं। सामान्यत: एक अभिभावक तीन साल तक जुड़े रहते हैं।
--- परीक्षा के दौरान इन बातों पर ध्यान दें अभिभावक
अभिभावक परीक्षा के दौरान अपने बच्चों का किस प्रकार ख्याल रखें। उन्हें किस तरह परीक्षा की तैयारी करवाएं, इस शिक्षाविदों औचर आहार विशेषज्ञ की सलाह। हमेशा तैयार किए विषय को करें फोकस: प्रि. नाज
ब्लॉसम कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. अमरजीत कौर नाज कहती हैं कि मा-बाप अपने बच्चों का सहयोग करें। उन पर नंबरों का किसी प्रकार का दबाव न डालें। बच्चे अगर बिना दबाव मन से पढ़ेंगे तो अच्छे अंक लाने के लक्ष्य से उनका पढ़ाई की ओर ध्यान भी होगा। इस समय बच्चों को हमेशा उन विषयों पर फोकस करें, जिसकी उनकी अच्छी तैयारी हो सके। सिलेबस के अनुसार रिवीजन पर करें फोकस: प्रिंसिपल अंजनि
द यूनिराइज वर्ल्ड स्कूल की प्रिंसिपल अंजनि सिंह कहती हैं कि अभिभावक इस बात का ध्यान दें कि परीक्षा के दौरान सिलेबस के अनुसार पढ़ाई पर फोकस करें। जो विषय आते हैं, बच्चे उनको रिपीट रिवीजन करें। जो भी शका लगे, बच्चे तुरंत संबंधित टीचर से अपने प्वाइंट क्लीयर कर लें। घर में बनाएं पढ़ाई का माहौल : डायरेक्टर सोबल
सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल की डायरेक्टर सिस्टर सोबल कहती हैं कि परीक्षाएं नजदीक आने पर अभिभावकों को घरों में पढ़ाई का पूरा माहौल बनाना चाहिए। अभिभावक खुद बच्चों की पढ़ाई में दखल देकर विषय अनुसार पहले से नोट्स और प्रश्नपत्र बनाकर रखें। जब बच्चे घर आएं तो पढ़ाई के दौरान उन प्रश्नपत्रों को हल करने को दें। बच्चों की खुराक पर ध्यान दें मा-बाप: रितु सुधाकर
डीएमसी अस्पताल की चीफ डायटिशयन रितु सुधाकर का कहना है कि परीक्षा के समय कोई बहाना नहीं चलता है। परीक्षा देनी है तो देनी है। चाहे बच्चे स्वस्थ हों या बीमार। ऐसे में जरूरत है कि मा-बाप बच्चों की खुराक का पूरा ध्यान रखें। पढ़ाई के दौरान बच्चों को थोड़ा-थोड़ा हल्का खाने के लिए कुछ दें। तली-फ्राई और फैटी चीजों से दूर रखें। हरी सब्जियों, फलों और फलों के ताजे जूस को तवज्जो दें। बच्चों को प्रोटीन वाली चीजें दूध, अंडे, मछली, चिकन और बादाम खाने को दें। बच्चों को लगातार एक जगह बैठे रहने न दें। उन्हें तरोताजा रखने के लिए थोड़ी सैर व पढ़ाई में ब्रेक दें। अभिभावक की राय बेटे पर पढ़ाई का न बनाएं दबाव: चंदन
एजुस्केयर इंस्टीट्यूट के फिजिक्स लेक्चरर चंदन गोयल कहते हैं कि एक अभिभावक के रूप में बेटे की पढ़ाई को लेकर मैं सक्रिय रहता हूं। मेरा बेटा योजन छठी कक्षा में पढ़ता है। मैं उसकी क्लास और होमवर्क पर पूरा फोकस करता हूं। गणित और साइंस में उसे स्ट्राग करने के लिए ओलंपियाड, सोशल स्टडी व जीके के लिए लर्न बाय डुइंग पर फोकस करता हूं। इस माध्यम से बच्चा हर विषय को प्रैक्टिकल तरीके से गहराई से समझ ले। बच्चे पर कभी पढ़ाई का दबाव नहीं बनाता हूं। बच्चे को विषय की गहराई तक पहुंचाने के लिए गूगल की भी मदद लेता हूं।